सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहली बार नामों की सिफारिश दोहराते हुए वरिष्ठता पर दिया जोर
कॉलेजियम ने 17 जनवरी को ही मद्रास हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए आठ नामों की और संस्तुति सरकार को भेजी थी। ऐसे में कॉलेजियम ने केंद्र को नियुक्ति के लिए भेजे गए नाम की सिफारिश दोहराते हुए नियुक्ति में उनकी वरिष्ठता कायम रखने को कहा।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 22 Jan 2023 10:45 PM (IST)
नई दिल्ली, माला दीक्षित। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच चल रही खींचतान में एक नया पहलू शामिल हो गया है। कॉलेजियम ने केंद्र को नियुक्ति के लिए भेजे गए नाम की सिफारिश दोहराते हुए नियुक्ति में उनकी वरिष्ठता कायम रखने को कहा है। ऐसा पहली बार हुआ है। कॉलेजियम ने 17 जनवरी को वकील आर जान सत्यन को मद्रास हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी 16 फरवरी, 2022 की सिफारिश दोहराते हुए महत्वपूर्ण बात जोड़ी।
वकील सत्यन को दी जानी चाहिए वरिष्ठता
कॉलेजियम ने कहा कि हाई कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश के लिए अलग से भेजे नामों में सत्यन को वरिष्ठता दी जानी चाहिए। कॉलेजियम ने 17 जनवरी को ही मद्रास हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए आठ नामों की और संस्तुति सरकार को भेजी थी। केंद्र ने सत्यन का नाम कॉलेजियम को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था। सरकार ने दो चीजों पर आपत्ति जताई गई थी। पहली- सत्यन ने पीएम की आलोचना में लिखा लेख साझा किया था और दूसरी मेडिकल की तैयारी करने वाली छात्रा के नीट पास करने में असफल रहने पर आत्महत्या की घटना पर पोस्ट में टिप्पणी की थी।
कॉलेजियम ने दोनों आपत्तियां खारिज करते हुए सिफारिश दोहराई और कहा कि मद्रास हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए अलग से की गई सिफारिशों में सत्यन को वरिष्ठता दी जानी चाहिए। यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे संकेत जाता है कि जिसकी नियुक्ति की सिफारिश पहले की गई थी और केंद्र के पास मामला मंजूरी के लिए लंबित रहा तो उसे बाद में भेजी गई सिफारिशों से वरीयता मिलना सुनिश्चित हो और वह व्यक्ति संस्तुति लटके रहने से वरिष्ठता से वंचित न हो जाए। सत्यन के नाम की सिफारिश दोहराने वाले कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे।
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वकील इंदू मल्होत्रा के नाम की सिफारिश भी कॉलेजियम ने की थी
जस्टिस जोसेफ का नियुक्ति प्रकरण भी देखें तो सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहली बार 10 जनवरी, 2018 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र को भेजी थी। उस समय वे उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील इंदू मल्होत्रा को भी सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। दोनों सिफारिशें एक साथ की गई थीं लेकिन कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ का नाम क्रम में पहले और इंदू का दूसरे नंबर पर रखा था। सरकार ने जोसेफ की सिफारिश रोके रखी और पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को भेज दी जबकि इंदू की नियुक्ति को 26 अप्रैल, 2018 को मंजूरी दे दी थी।दोहराई गई जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश
कॉलेजियम ने 16 जुलाई, 2018 को सरकार की आपत्तियां खारिज करते हुए जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश दोहराई। उसी दिन कॉलेजियम ने एक अलग संस्तुति में मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, उड़ीसा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनीत सरन को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र को भेजी। क्रम देखा जाए तो जस्टिस जोसेफ को वरिष्ठ होना चाहिए था क्योंकि उनकी सिफारिश पहले की जा चुकी थी लेकिन केंद्र ने सिफारिशें मंजूर करते समय जस्टिस जोसेफ का नाम जस्टिस बनर्जी व सरन से नीचे रखा। इससे उनकी वरिष्ठता दोनों से नीचे हो गई। शायद इन्हें देखते हुए ही कॉलेजियम ने अबकी बार सिफारिश दोहराते हुए केंद्र से नियुक्ति में वरिष्ठता कायम रखने को कहा है। उधर, दिल्ली हाई कोर्ट के लिए अधिवक्ता सौरभ किरपाल के नाम की सिफारिश दोहराते हुए भी कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति में जल्दी करने को कहा है।
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