Army Commanders Conference: कमांडरों के पांच दिवसीय सम्मेलन की हुई शुरुआत, सुरक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा
सेना के शीर्ष कमांडर सोमवार से शुरू होने वाले पांच दिवसीय सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और बल की युद्ध क्षमता बढ़ाने के तरीकों की व्यापक समीक्षा की साथ ही समग्र युद्ध क्षमता को बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया।
पीटीआई, नई दिल्ली। सेना कमांडरों का सम्मेलन आज से नई दिल्ली में शुरू हो गया है। यह शीर्ष-स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम वैचारिक आधार पर विचार-विमर्श के लिए भारतीय सेना को महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों की सुविधा प्रदान करने का एक संस्थागत मंच है। सेना के शीर्ष कमांडरों ने सोमवार को पांच दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत करते हुए चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और बल की समग्र युद्ध क्षमता को बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श शुरू किया।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की अध्यक्षता में, कमांडर कई मुद्दों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें 13 लाख की क्षमता वाले बल में चल रही सुधार प्रक्रिया, तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता से संबंधित मामले और प्रमुख भू-राजनीतिक विकास शामिल हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को सेना कमांडरों के सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पाण्डेय और वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने विषय पर होगी व्याख्यान
सेना कमांडरों को संबोधित करने वालों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी शामिल हैं। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद भी "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने" पर एक व्याख्यान देंगे।
अधिकारियों ने कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ-साथ पाकिस्तान के साथ सीमा पर समग्र स्थिति पर चर्चा की जाएगी। अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया गया कि सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश की समग्र स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
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