कोहरा सड़क सुरक्षा में बड़ा जोखिम, 2021 में पांच हजार लोगों की गई जान; इन दो महीनों में बरतें खास सावधानी
कोहरे के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। 2021 में पांच हजार लोगों की अपनी जान गंवानी पड़ी है। दिसंबर और जनवरी के महीने वाहन चालकों पर भारी पड़ते हैं। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार रिफ्लेक्टर के लिहाज से सड़कों का आडिट करना जरूरी है।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सोमवार की सुबह सीजन का पहला कोहरा गिरा और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे कानपुर के पास पांच वाहनों की टक्कर में तीन लोगों की जान चली गई। इसी एक्सप्रेस-वे पर एक अन्य घटना में चार वाहन आगे-पीछे से टकरा गए, जिसमें 13 लोग घायल हुए। इसी तरह की दुर्घटनाएं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर भी हुईं। सड़क सुरक्षा के सवाल भी नए सिरे से खड़े हो गए।
पांच हजार से अधिक लोगों की गई जान
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, धुंध-कोहरे और मौसम के कारण 5405 लोगों की जान चली गई। सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले कुल लोगों के लिहाज से यह संख्या भले ही केवल 3.5 प्रतिशत हो, लेकिन सड़क सुरक्षा के विशेषज्ञों के मुताबिक, नेशनल और स्टेट हाईवे-एक्सप्रेस-वे तथा अन्य सड़कों पर धुंध-कोहरे के कारण दुर्घटना का शिकार होने वाले लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है और वह भी तब जब कोहरे और धुंध की समस्या दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कुछ राज्यों में ही है और वह भी 40-50 दिनों में।
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दिसंबर और जनवरी जोखिम भरे- एनसीआरबी
एनसीआरबी की रिपोर्ट में दिसंबर और जनवरी दुर्घटनाओं के लिहाज से काफी जोखिम भरे आंके गए हैं। जनवरी में 40,235 दुर्घटनाएं हुईं, जो कुल हादसों का लगभग दस प्रतिशत है। दिसंबर (38028) का भी लगभग यही हाल है। कोहरे के कारण दुर्घटनाओं का यही स्तर पिछले लगभग पांच साल से कायम है। 2018 में 28,026 इस तरह की घटनाएं हुईं, लेकिन इसके अगले ही साल इसमें करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और संख्या 33,602 तक पहुंच गई। दोनों ही साल दस हजार से अधिक लोगों ने कोहरे के कारण हुए हादसों में अपनी जान गंवाई।
दो चीजों पर ध्यान देना जरूरी
इंस्टीट्यूट आफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आइआरटीई) के प्रेसिडेंट और सड़क सुरक्षा के विशेषज्ञ रोहित बलूजा के अनुसार कोहरे के कारण होने वाले हादसे रोकने के लिए दो चीजें बहुत अहम हैं। एक तो रोड रिफ्लेक्टर मार्किंग एकदम दुरुस्त होनी चाहिए। यह इतनी सही होनी चाहिए कि थोड़ी-बहुत धुंध में भी सड़क नजर आए। आम तौर पर इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। इसके लिए सड़क से संबंधित एजेंसियों को सड़कों का नियमित आडिट करते रहना चाहिए कि मार्किंग काम कर रही है या नहीं।
दूसरे, नए मोटर रेग्यूलेशन में यह प्रविधान किया गया है कि खराब मौसम अथवा कोहरे के दौरान स्पीड निर्धारित गति सीमा से कम होनी चाहिए। राज्य सरकारों और पुलिस-ट्रांसपोर्ट को इसके लिए पहल करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता।
लोगों के मन में पैदा करना होगा डर
लोगों के मन में यह डर पैदा करना होगा कि अगर स्पीड का ध्यान नहीं रखा गया तो उन्हें खतरनाक ड्राइविंग के लिए बुक किया जा सकता है। इसके साथ ही हेडलाइट को नीचे रखकर चलने जैसे उपाय भी बेहद जरूरी हैं।
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