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Video: अब दुश्मनों की खैर नहीं, सेना की ताकत बढ़ाने आ गया देश का पहला लाइट टैंक 'जोरावर', जानें खासियत

Zorawar Tank डीआरडीओ और एलएंडटी की ओर से विकसित किए जा रहे स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर की तस्वीरें सामने आई हैं। इन हल्के टैंक को भारतीय सेना को सौंपा जाएगा जिसके बाद चीन से मुकाबले के लिए इन्हें एलएसी पर तैनात किया जाएगा। हल्के वजन वाले ये टैंक पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई और नदियों को अधिक आसानी से पार कर सकते हैं।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 06 Jul 2024 04:56 PM (IST)
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टैंक को वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किया जा सकता है। (Photo - ANI)
एएनआई, हजीरा। भारत के स्वदेशी लाइट टैंक 'जोरावर' का उत्पादन कार्य तेजी से जारी है। डीआरडीओ और एलएंडटी की ओर से मिलकर विकसित किए जा रहे इन टैंक की तस्वीरें भी सामने आई हैं। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, DRDO के प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने शनिवार को गुजरात के हजीरा में टैंक प्रोजेक्ट की समीक्षा की।

गौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन का का मुकाबला करने के उद्देश्य से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डीआरडीओ द्वारा इस टैंक को विकसित किया जा रहा है।

2027 तक सेना में किया जा सकता है शामिल

अपनी हल्के वजन और उच्च क्षमताओं के कारण यह टैंक भारी वजन वाले टी-72 और टी-90 टैंकों की तुलना में पहाड़ों में खड़ी चढ़ाई और नदियों और अन्य जल निकायों को अधिक आसानी से पार कर सकता है। डीआरडीओ प्रमुख डॉ. कामत के अनुसार, सभी परीक्षणों के बाद टैंक को वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किया जा सकता है।

डीआरडीओ टैंक लैब के निदेशक राजेश कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'आम तौर पर तीन अलग-अलग प्रकार के टैंक होते हैं। वजन के आधार पर तीन श्रेणियां होती हैं- भारी टैंक, मध्यम टैंक और हल्के टैंक। हर एक की अपनी भूमिका होती है। एक सुरक्षा के लिए और एक आक्रमण के लिए और ये हल्के टैंक दोनों के लिए मिश्रित भूमिका निभाते हैं।'

कम वजन के बावजूद टैंक में हैं सभी खूबियां

राजेश कुमार बताते हैं कि यदि आप एक हल्का टैंक देखते हैं तो दुनिया में कई खिलाड़ी हल्के टैंक बना रहे हैं। इनमें पश्चिमी, रूसी और चीनी टैंक हैं। भारतीय टैंक की खासियत यह है कि कम वजन होने के साथ टैंकों के सभी मूलभूत मापदंड, जैसे कि आग, शक्ति, गतिशीलता और सुरक्षा इसमें समाहित हैं। तीनों को इस तरह से शामिल किया गया है कि वजन भी समान बना रहे और सभी पैरामीटर भी मिलें। 

इस मौके पर एलएंडटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि संयुक्त विकास मॉडल ने बड़ी सफलता हासिल की है और इतने कम समय में विकसित हुआ है।

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