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भारतीय किसानों को श्रीअन्न दे सकता है विदेशी बाजार, एपीडा ने मोटे अनाजों के 30 प्रमुख आयातक देशों की बनाई सूची

भारत के मौसम के लिहाज से मोटे अनाज की खेती इसलिए भी अनुकूल है कि इसमें गेहूं एवं धान जैसी फसलों की तुलना में कम पानी की जरूरत होती है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री भारत को मोटे अनाज का हब बनाना चाहते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 15 Mar 2023 08:54 PM (IST)
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भारतीय किसानों को श्रीअन्न दे सकता है विदेशी बाजार

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। मोटे अनाजों के उत्पादक किसानों एवं कारोबारियों के लिए यह वर्ष अति महत्वपूर्ण होने वाला है। वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट (श्रीअन्न) वर्ष घोषित होने के साथ ही देश में मोटे अनाजों के उत्पादन, खपत और निर्यात की संभावनाएं तलाशने में सरकारी तंत्र सक्रिय हो गया है।

देश में श्रीअन्न की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। दूसरे देशों ने भी इसके महत्व को समझा है। स्पष्ट है कि मांग के अनुसार आपूर्ति की जिम्मेदारी भी भारत की होगी, क्योंकि मोटे अनाजों के उत्पादन में भारत अन्य देशों की तुलना में सबसे आगे है। श्रीअन्न के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि केंद्रीय बजट में इसे प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव आते ही मोटे अनाजों के लिए विश्व बाजार की तलाश शुरू कर दी गई।

एपीडा ने दो स्तरों पर शुरू किया काम

केंद्र सरकार ने कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को जिम्मेवारी सौपी। उसके संसाधन बढ़ाए। एपीडा ने भी तत्परता दिखाते हुए दो स्तरों पर काम प्रारंभ कर दिया। उसने ऐसे 30 प्रमुख देशों की सूची बना ली है, जो मोटे अनाज के बड़े आयातक हैं। साथ ही अपने देश के 21 राज्यों में उत्पादन बढ़ाने की कार्ययोजना भी बना ली है। ज्ञान आधारित काम (शोध एवं संवर्धन) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (IIMR), कृषि विश्वविद्यालय बेंगलुरु एवं यश बैंक को दिया गया।

एपीडा ने श्रीअन्न ब्रांड का किया निर्माण

एपीडा ने एक कदम और बढ़ाते हुए श्रीअन्न की खपत और कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिए श्रीअन्न ब्रांड का निर्माण किया है। रेडी टू ईट और रेडी टू सर्व के अनुकूल श्रीअन्न पर आधारित सैंपल और स्टार्टअप जुटाए जा रहे हैं, जो ज्वार-बाजरा, रागी एवं अन्य मोटे अनाजों से नूडल्स, बिस्कुट, ब्रेकफास्ट, पास्ता, सीरियल मिक्स, कुकीज, स्नैक्स एवं मिठाइयां आदि बना सकें, ताकि विश्व बाजार में निर्यात को बढ़ावा देने में सहूलियत हो सके। ऐसे उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों के दौरान प्रचारित भी किया जाना है।

कृषि मंत्रालय ने पहले ही ज्वार-बाजरा, रागी एवं कुट्टू जैसे मोटे अनाजों को पोषक घोषित कर रखा है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय वर्ष 2026-27 तक बाजरा आधारित उत्पादों को प्रोत्साहित करने की योजना पर 800 करोड़ खर्च करने जा रहा है।

श्रीअन्न का हब बन सकता है भारत

भारत के मौसम के लिहाज से मोटे अनाज की खेती इसलिए भी अनुकूल है कि इसमें गेहूं एवं धान जैसी फसलों की तुलना में कम पानी की जरूरत होती है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री भारत को मोटे अनाज का हब बनाना चाहते हैं। इसके लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। हरियाणा ने तैयारी भी शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य भी उत्पादन और खपत बढ़ाने के लिए अभियान चलाने जा रहे हैं।