LAC पर सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा, अब चीन के साथ तनाव कम करने पर ध्यान; जयशंकर ने बताया आगे का प्लान
भारत का अब पूरा ध्यान चीन के साथ तनाव को कम करने पर है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार की कुछ उम्मीद करना उचित है। करीब साढ़े चार साल बाद सीमा पर सेनाओं ने गश्त शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लगातार तीसरी बार निर्वाचित होना कोई साधारण बात नहीं है। यह लोगों का सरकार में विश्वास दर्शाता है।
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ विवाद निपटाने के एक हिस्से के तौर पर दोनों ओर की सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा हो गया है और अब आगे ध्यान तनाव कम करने पर होगा।
उन्होंने कहा कि अंतिम दौर की सैन्य वापसी के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में कुछ सुधार की उम्मीद करना उचित है, लेकिन यह कहने से संकोच किया कि महज इस कदम से दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्ते अपने पुराने स्वरूप में लौट सकते हैं।
जयशंकर ने यहां एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में कहा कि मैं सेनाओं के पीछे हटने (डिसइंगेजमेंट) को बस उनके पीछे हटने के रूप में देखता हूं, न उससे कुछ ज्यादा और न कुछ कम। अगर आप चीन के साथ मौजूदा स्थिति को देखें तो तो हमारे सामने एक ऐसा मुद्दा रहा कि हमारे सैनिक असहज तौर पर एलएसी के बिल्कुल करीब हैं, जिससे हमें उनके पीछे हटने का कदम उठाने की जरूरत पड़ी।
पीछे हटने का काम पूरा हो गया
उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर की यह सहमति सेनाओं के पीछे हटने से जुड़ी सहमतियों में आखिरी थी। इसके क्रियान्वयन के साथ ही इस समस्या के हल की दिशा में सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा हो गया। जयशंकर की टिप्पणी इस सवाल के जवाब में आई कि क्या पिछले महीने दोनों पक्षों की तरफ से सेनाओं को पीछे हटाना भारत और चीन के बीच संबंधों के पुराने स्वरूप में लौटने की शुरुआत थी।साढ़े चार साल बाद सीमा पर गश्त शुरू
विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों की वर्तमान स्थिति ऐसे निष्कर्ष पर नहीं पहुंचाती है। बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने पिछले महीने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग में पीछे हटने का काम पूरा किया। दोनों पक्षों ने करीब साढ़े चार साल के अंतराल के बाद सीमा पर अपनी-अपनी गश्ती गतिविधियां भी शुरू कीं।