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विदेशी विश्वविद्यालय अब देश में कहीं भी खोल सकेंगे अपना कैंपस, यूजीसी ने तैयार किया मसौदा

यूजीसी चेयरमैन ने बताया कि सिर्फ वहीं विदेशी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान देश में अपने कैंपस खोल सकेंगे जो विश्वस्तरीय रैंकिंग में शीर्ष के पांच सौ संस्थानों में शामिल होंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद यूजीसी ने इस दिशा में अहम कदम उठाया है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 05 Jan 2023 08:47 PM (IST)
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद यूजीसी ने तैयार किया मसौदा
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उच्च शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों का अमेरिका, ब्रिटेन सहित दुनिया के दूसरे देशों की ओर तेजी से हो रहे पलायन को थामने और देश को विश्वस्तरीय शिक्षा का एक बड़ा हब बनाने की दिशा में केंद्र ने अहम कदम उठाया है। जिसके तहत दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान अब देश में कहीं भी अपने कैंपस खोल सकेंगे। हालांकि इसके लिए इन सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) से अनुमति लेनी होगी। जो शुरूआत में दस साल के लिए मिलेगी।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद यूजीसी ने तैयार किया मसौदा

प्रदर्शन के आधार पर अनुमति आगे भी जारी रखने का फैसला लिया जाएगा। इस बीच यूजीसी इन संस्थानों की गुणवत्ता, काम-काज और गतिविधियों पर पैनी नजर रखेगी। किसी भी गड़बड़ी पर भारी जुर्माना सहित अनुमति भी वापस ली जा सकेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद यूजीसी ने इस दिशा में अहम कदम उठाया है। साथ ही इससे जुड़ा मसौदा भी गुरुवार को जारी कर दिया है।

मसौदे के पहलुओं की जानकारी देते हुए यूजीसी चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने बताया कि यह कदम जिन अहम विषयों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है, उसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत गुणवत्तापूर्ण और विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा मुहैया कराने के लिए देश में ही विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने की सिफारिश सहित उच्च शिक्षा के लिए छात्रों के हर साल होने वाला पलायन है। उन्होंने बताया कि चालू शैक्षणिक सत्र में ही करीब साढ़े चार लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए दुनिया के दूसरे देशों में गए है। जिनकी पढ़ाई पर अनुमान के मुताबिक 28-30 बिलियन डालर खर्च हो जाता है।

जो आम या मध्यमवर्गीय भारतीय बच्चों के लिए काफी महंगी पढ़ाई है। ऐसे में इस पहल से अब देश में ही रहकर पढ़ सकेंगे। इससे पढ़ाई के दौरान रहने खाने में उनके खर्च में काफी कमी आएगी। मौजूदा समय में विदेशों में पढ़ने के लिए जाने वाले छात्रों के खर्च की एक बड़ी राशि ट्यूशन फीस और रहने खाने पर खर्च होती है। विदेशी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों के देश में कैंपस खोलने से जुड़े मसौदे के मुताबिक इनमें दाखिले और फीस तय करने का अधिकार पूरी से तरह से संस्थानों का होगा।

यूजीसी इन संस्थानों का भी कर सकेगा औचक निरीक्षण

इनमें यूजीसी किसी तरह से दखल नहीं देगा, लेकिन इन संस्थानों को शैक्षणिक गुणवत्ता के मानकों को पूरा करना होगा। जिसकी लगातार समीक्षा होगी। इसके साथ ही यूजीसी इन संस्थानों का औचक निरीक्षण भी कर सकेगा। इस संस्थानों को भारतीय कानूनों को पूरी तरह से मानना होगा। इनमें फेमा से जुड़े नियमों का पालन करना जरूरी होगी। इन नियमों का पालन न करने पर इन संस्थानों पर भारतीय कानून के कार्रवाई होगी।

यूजीसी चेयरमैन ने बताया कि सिर्फ वहीं विदेशी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान देश में अपने कैंपस खोल सकेंगे, जो विश्वस्तरीय रैंकिंग में शीर्ष के पांच सौ संस्थानों में शामिल होंगे। या फिर दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थान होंगे। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद दुनिया के कई उच्च शिक्षण संस्थान भारत में अपने कैंपस खोलने के लिए उत्सुक है। उन्होंने इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी से लगातार संपर्क में भी है।

सिर्फ आफलाइन कोर्स चलाने की होगी अनुमति

विदेशी विश्वविद्यालयों के देश में कैंपस खोलने से जुड़े नियमों के तहत यह सभी संस्थान देश में सिर्फ आफलाइन कोर्स ही संचालित कर सकेंगे। इन्हें आनलाइन या फिर किसी दूसरे मोड़ में कोर्स चलाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही इन संस्थानों को अपने यहां ज्यादातर शिक्षकों को नियमित रूप से नियुक्ति देनी होगी। इस बीच मसौदे पर 18 जनवरी तक सुझाव देने के लिए कहा गया है। जिसके बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यूजीसी ने इस मसौदे को दुनिया भर के सभी भारतीय दूतावासों के जरिए सभी देशों को भी भेजे है। साथ ही देश में मौजूद विदेशी दूतावासों को भी भेजे गए है।

आनलाइन लिए जाएंगे आवेदन, 45 दिनों में होगा निराकरण

देश में कैंपस खोलने के इच्छुक और मानकों को पूरा करने वाले विश्वविद्यालयों को इसके लिए आनलाइन आवेदन करना होगा। इन आवेदनों की जांच यूजीसी की एक उच्च स्तरीय कमेटी करेगी। जो 45 दिन के भीतर इससे जुड़े आवेदन का निराकरण करेंगे। अनुमति मिलने के दो साल के भीतर विदेशी विश्वविद्यालयों को देश में अपने कैंपस खोलने होंगे।

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