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Toxic: 'केजीएफ स्टार यश की आगामी फिल्म की शूटिंग के लिए बेंगलुरु में काटे गए जंगल के पेड़', पर्यावरण मंत्री ने दिए कार्रवाई करने के निर्देश

Yash की फिल्म Toxic के लिए सेट बनाने के लिए कई पेड़ों को काट दिया गया है। वन पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्री ईश्वर खांडरे और अतिरिक्त मुख्य सचिव को मंगलवार को एक चिट्ठी लिखी गई है। इसमें 599 एकड़ फॉरेस्‍ट लैंड (वन भूमि) पर चिंता जताई गई है। विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पेड़ों को काटने की अनुमति देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Wed, 30 Oct 2024 01:53 PM (IST)
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Toxic फिल्म की शूटिंग के लिए बेंगलुरु में काटे गए पेड़ (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। Yash की फिल्म Toxic साल 2025 की कुछ बड़ी फिल्मों में से एक होने वाली है। Geetu Mohandas के डायरेक्शन में बनने वाली 'टॉक्सिक' की शूटिंग शुरू हो चुकी है। लेकिन फिल्म पहले ही विवादों में फंस गई है।

रिपोर्ट्स हैं कि यश की 'टॉक्सिक' की शूटिंग के ए मेकर्स ने फिल्म का सेट बनाने के लिए गैर-कानूनी तरीके से पेड़ काट दिए हैं। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।

Toxic फिल्म की शूटिंग के लिए काटे गए पेड़

वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्री ईश्वर खांडरे और अतिरिक्त मुख्य सचिव को मंगलवार को एक चिट्ठी लिखी गई है। इसमें 599 एकड़ फॉरेस्‍ट लैंड (वन भूमि) पर चिंता जताई गई है। यह जमीन अब HMT के कब्जे में है। असल में एक राजपत्र अधिसूचना में इन रिजर्व फॉरेस्‍ट लैंड को बिना किसी औपचारिक अधिसूचना के HMT को दे दिया गया था।

वन मंत्री ईश्वर खांडरे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि रॉकिंग स्टार यश की फिल्म 'टॉक्सिक' की शूटिंग के लिए वन भूमि पर लगे 'सैकड़ों पेड़' काटे गए। उन्होंने अपने विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पेड़ों को काटने की अनुमति देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू करने और पेड़ों को साफ करने वाले लोगों के खिलाफ वन अपराध का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।

मंत्री ने कहा कि एचएमटी और वन विभाग के बीच चल रहे विवाद की पृष्ठभूमि में जब उन्होंने कुछ दिन पहले वन भूमि का दौरा किया तो पाया कि फिल्म के सेट लगाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों और वनस्पतियों को नष्ट किया जा रहा है।

खांडरे को अधिकारियों ने बताया कि शूटिंग के लिए सेट बनाने के लिए जंगल की जमीन का एक हिस्सा 'किराए पर' दिया गया है, जिसमें पेड़ और वनस्पतियों को साफ किया गया है।

अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश

मंगलवार को वन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को लिखे अपने पत्र में मंत्री ने बताया कि 599 एकड़ क्षेत्र को पहले ही गजट अधिसूचना के माध्यम से 'आरक्षित वन' घोषित किया जा चुका है और उसी जमीन को वन भूमि को गैर-अधिसूचित किए बिना एचएमटी को आवंटित किया गया था।

खांडरे ने लिखा, एचएमटी ने अपने कब्जे में मौजूद वन भूमि को गैर-वनीय गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली विभिन्न सरकारी और निजी एजेंसियों को अवैध रूप से बेच दिया है। सैटेलाइट इमेज से यह स्पष्ट है कि वन भूमि पर पेड़ों और वनस्पतियों का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ है। मैंने यह भी देखा कि एचएमटी फिल्म शूटिंग के लिए वन भूमि और खाली जमीन को दैनिक किराए के आधार पर किराए पर दे रही है। कथित तौर पर केनरा बैंक को बेची गई वन भूमि पर कई महीनों तक फिल्म की शूटिंग की सुविधा के लिए एक आर्ट सेट भी स्थापित किया गया है। वन भूमि पर सैकड़ों पेड़ और वनस्पतियों को अवैध रूप से साफ कर दिया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के पिछले फैसले को याद करते हुए कि 'एक बार जंगल बन जाने के बाद उसे जब तक गैर-अधिसूचित नहीं कर दिया जाता, वह हमेशा जंगल ही रहता है', मंत्री ने कहा कि एचएमटी द्वारा कब्जाई गई भूमि अभी भी वन भूमि है।

खांडरे ने अपने पत्र में एसीएस को निर्देश दिया, वन अधिनियम और नियमों के अनुसार, बिना पूर्व अनुमति के वन भूमि में पेड़ों को काटना दंडनीय अपराध है। मैं आपको निर्देश देता हूं कि आप कर्नाटक राज्य सुदूर संवेदन अनुप्रयोग केंद्र (केएसआरएसएसी) से प्राप्त पिछले और वर्तमान उपग्रह चित्रों की तुलना करके फिल्म सेट स्थापित करने के लिए काटे गए पेड़ों की संख्या की पुष्टि करें और पता लगाएं कि क्या भूमि को किराए पर देने या फिल्म की शूटिंग के लिए जिम्मेदार एजेंसियों ने पेड़ों को काटने के लिए कोई अनुमति ली थी।

मंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि यदि किसी वन अधिकारी ने वन भूमि पर पेड़ों को काटने की अनुमति दी है, तो वन भूमि पर पेड़ों को काटने की अनुमति देने के लिए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ वन अपराध का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।

वन विभाग के रिकॉर्ड में पीन्या प्लांटेशन के रूप में दर्ज 599 एकड़ वन भूमि को पुनः प्राप्त करने के मंत्री के कदम का केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कड़ा विरोध किया, जिन्होंने भूमि के वास्तविक मालिक के रूप में एचएमटी का बचाव किया।

पिछले सप्ताह, बेंगलुरू शहरी वन अधिकारियों ने एचएमटी के कब्जे से पांच एकड़ भूमि पुनः प्राप्त कर ली थी।

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