पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने कॉलेजियम प्रणाली का किया समर्थन, बोले- इससे बेहतर कुछ भी नहीं
कॉलेजियम का समर्थन करते हुए पूर्व सीजेआई ललित ने कहा हमारे पास कॉलेजियम सिस्टम से बेहतर कोई सिस्टम नहीं है। अगर हमारे पास कॉलेजियम सिस्टम की तुलना में बेहतर कुछ नहीं है तो स्वाभाविक रूप से हमें इस दिशा में काम करना चाहिए कि यह कॉलेजियम सिस्टम बना रहे।
By Achyut KumarEdited By: Achyut KumarUpdated: Sat, 18 Feb 2023 02:36 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठा रही है। मगर, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) यू यू ललित ने शनिवार को इसका समर्थ किया। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली से बेहतर कुछ भी नहीं है। वह न्यायिक नियुक्तियों और सुधारों पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान पूर्व सीजेआई ललित ने कॉलेजियम सिस्टम के हिस्से के रूप में अपने दो साल के अनुभव को साझा किया। कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म की ओर से न्यायिक नियुक्तियों और सुधारों पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।
नाम की पुनरावृत्ति कॉलेजियम के एकमत से होनी चाहिए
पूर्व सीजेआई ललित ने कहा, "जरूरी नहीं है कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई प्रारंभिक सिफारिश सर्वसम्मति से हो। यह बहुमत से हो सकती है। मगर, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा नाम की पुनरावृत्ति एकमत होनी चाहिए।"हमारे पास कॉलेजियम से बेहतर कोई प्रणाली नहीं- ललित
कॉलेजियम का समर्थन करते हुए पूर्व सीजेआई ललित ने कहा, "हमारे पास कॉलेजियम सिस्टम से बेहतर कोई सिस्टम नहीं है। अगर हमारे पास कॉलेजियम सिस्टम की तुलना में बेहतर कुछ नहीं है, तो स्वाभाविक रूप से हमें इस दिशा में काम करना चाहिए कि यह कॉलेजियम सिस्टम बना रहे।"
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि व्यवस्था में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। इसे लगभग सही मॉडल करार देते हुए पूर्व सीजेआई ललित ने कहा कि कुछ कमी हो सकती है, क्योंकि कुछ सिफारिशें हटा दी जाती हैं।
225 नामों की सिफारिश सरकार ने की थी स्वीकार
कॉलेजियम प्रणाली के बारे में विस्तार से बताते हुए पूर्व सीजेआई ललित ने इस प्रणाली के हिस्से के रूप में बिताए अपने दो साल के अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि एक सदस्य के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कॉलेजियम ने जिन नामों की सिफारिश की थी, उसमें से करीब 255 नामों को सरकार ने स्वीकार किया गया था।