Move to Jagran APP

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा का निधन, नक्सलियों के साथ संबंध मामले में किया था गिरफ्तार

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा की शनिवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में मृत्यु हो गई। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा संदिग्ध माओवादी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें वर्ष 2014 में कॉलेज ने निलंबित कर दिया था। लेकिन अभियोजन उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा और गत मार्च में बांबे हाई कोर्ट ने उनको बरी कर दिया था।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 13 Oct 2024 05:45 AM (IST)
Hero Image
माओवादियों के साथ कथित संबंधों के एक मामले में 10 साल जेल में रहे

 पीटीआई, हैदराबाद। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा की शनिवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में मृत्यु हो गई। माओवादियों के साथ कथित संबंधों के एक मामले में 10 साल जेल में रहने के बाद सात महीने पहले उन्हें बरी किया गया था। 50 वर्षीय जीएन साईबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कालेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। एक अधिकारी ने बताया कि साईबाबा ने रात लगभग नौ बजे अंतिम सांस ली। वह पित्ताशय में संक्रमण और अन्य जटिलताओं से पीड़ित थे।

बांबे हाई कोर्ट ने उनको बरी कर दिया था बरी

महाराष्ट्र पुलिस द्वारा संदिग्ध माओवादी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें वर्ष 2014 में कालेज ने निलंबित कर दिया था। लेकिन, अभियोजन उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा और गत मार्च में बांबे हाई कोर्ट ने उनको बरी कर दिया था। एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि शनिवार रात करीब नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

वह पिछले 20 दिन से ‘निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ (एनआईएमएस) में भर्ती थे। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने माओवादियों से कथित संबंध मामले में साईबाबा एवं पांच अन्य को मार्च में बरी कर दिया था और कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा है। अदालत ने उनकी आजीवन कारावास की सजा भी रद कर दी थी।

10 साल बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आए

अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाने के लिए प्राप्त की गई मंजूरी को अमान्य करार दिया था। बरी होने के बाद, साईबाबा व्हीलचेयर पर बैठकर 10 साल बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आए।

साईबाबा ने इस साल अगस्त में आरोप लगाया था कि उनके शरीर के बाएं हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के बावजूद प्राधिकारी नौ महीने तक उन्हें अस्पताल नहीं ले गए और उन्हें नागपुर केंद्रीय कारागार में केवल दर्द निवारक दवाएं दी गईं, जहां वह 2014 में इस मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से बंद थे। अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर ने दावा किया था कि उनकी आवाज दबाने के लिए उनका अपहरण किया गया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।

दिल्ली से अपहरण किया गया

आंध्र प्रदेश के मूल निवासी साईबाबा ने आरोप लगाया था कि प्राधिकारियों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने बात करना बंद नहीं किया तो उन्हें किसी झूठे मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनका दिल्ली से अपहरण किया गया और उन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एक जांच अधिकारी के साथ उनके घर गए और उन्हें एवं उनके परिवार को धमकाया।

महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें व्हीलचेयर से घसीटा

साईबाबा ने आरोप लगाया था कि गिरफ्तार करते समय महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें व्हीलचेयर से घसीटा और इसके परिणामस्वरूप उनके हाथ में गंभीर चोट लग गई, जिससे उनके तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक के संबाशिव राव ने साईबाबा के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि यह समाज के लिए एक क्षति है।