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One Nation One Election Panel: एक देश एक चुनाव पर राजनीतिक दलों की भी ली जाएगी राय, बैठक के बाद समिति का फैसला

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर गठित समिति के साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को पहली बैठक की। इस बैठक में सदस्यों ने हितधारकों और राजनीतिक दलों चर्चा करने और सुझाव प्राप्त करने का निर्णय लिया। जोधपुर हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन समिति की पहली बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित अन्य लोग शामिल हुए।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 23 Sep 2023 07:15 PM (IST)
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वन नेशन वन इलेक्शन समिति की पहली बैठक खत्म। (फोटो- एएनआई)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में लोकसभा, विधानसभा और नगरीय निकायों सहित दूसरे सभी चुनावों को एक साथ कराने की संभावनाओं को तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अगुवाई में गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने शनिवार को अपनी पहली बैठक की है। जिसमें इसके रोडमैप पर चर्चा हुई।

राजनीतिक दलों की ली जाएगी राय

साथ ही फैसला लिया गया कि सबसे पहले इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों की राय ली जाए। इसके तहत जल्द ही सभी राजनीतिक दलों को अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। समिति ने अपनी पहली बैठक में ही इस दिशा में आगे बढ़ने के रोड़मैप को लेकर विधि आयोग से भी चर्चा करने का फैसला लिया है।

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बैठक में अधीर रंजन नहीं हुए शामिल

देश में सभी चुनावों को एक साथ कराने को लेकर गठित कमेटी की इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को छोड़कर सभी सदस्य शामिल हुए थे। समिति में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे देश से बाहर होने के चलते इस बैठक से वर्चुअल जुडे थे।

इन लोगों ने रखे अपने विचार

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अगुवाई में रखी गई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ सुभाष कश्यप, पंद्रहवें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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विभिन्न पहलुओं पर हुई चर्चा

बैठक की शुरूआत में कोविन्द ने बैठक के एजेंडे को रखा। इस दौरान समिति ने अपने काम-काज को आगे बढ़ाने के लिए दो अहम निर्णय लिए। जिसमें पहला वह सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दलों, राज्यों की सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों, संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले दलों और अन्य मान्यता प्राप्त राज्य की राजनीतिक पार्टी के साथ एक-एककर इस मुद्दे पर चर्चा करेगी और उनके सुझाव लेगी। दूसरा इस मसले पर विधि आयोग की भी राय ली जाएगी।