मेरा आधा दिल भारत में है : बान की मून, यूएन के पूर्व महासचिव की आत्मकथा जारी
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून की पहली राजनयिक तैनाती भारत में हुई थी और देश के साथ उनका ऐसा खास संबंध स्थापित हो गया कि 50 साल बाद भी उनका आधा दिल भारत में बसता है। यहां तीन साल का कार्यकाल जीवन का बेहद रोमांचक समय था।
By TaniskEdited By: Updated: Mon, 22 Nov 2021 07:23 AM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून की पहली राजनयिक तैनाती भारत में हुई थी और देश के साथ उनका ऐसा खास संबंध स्थापित हो गया कि 50 साल बाद भी उनका आधा दिल भारत में बसता है। बान ने अपनी आत्मकथा में यह भी उल्लेख किया है कि भारत में उनका तीन साल का कार्यकाल उनके जीवन का बेहद रोमांचक समय था। हार्पर कालिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित 'रिजाल्व्ड : यूनाइटिंग नेशंस इन ए डिवाइडेड वर्ल्ड' में बान ने वर्णन किया है कि कैसे वह 'युद्ध के बच्चे' से 'शांति के दूत' बन गए।
संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व में आने से ठीक एक साल पहले 1944 में जन्मे बान की मून की सबसे पुरानी यादें उनके कोरियाई गांव पर बम गिरने की आवाज और शेष चीजों के आग की लपटों में खाक होने से जुड़ी हैं। भारत में अपने कार्यकाल के दिनों के बारे में बान ने लिखा है, 'भारत में मेरी पहली राजनयिक तैनाती थी, और सून-ताक (पत्नी) और मैं अक्टूबर 1972 में दिल्ली पहुंचे। मैंने वहां लगभग तीन साल तक सेवा की, पहले कोरियाई महावाणिज्य दूतावास के उप-महावाणिज्यदूत के रूप में और दिसंबर 1973 में कोरिया और भारत के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद मैंने कोरियाई दूतावास के द्वितीय सचिव के रूप में कार्य किया।'
अब भी मैं भारतीय लोगों से कहता हूं कि मेरा आधा दिल उनके देश में है
बान की बेटी सियोन-योंग उस समय मात्र आठ माह की थीं और उनके इकलौते बेटे वू-ह्यून का जन्म 30 अक्टूबर 1974 को भारत में हुआ। बान ने लिखा है, 'मैं भारतीय लोगों के साथ मजाक करता था कि भारत के साथ मेरी 'बैलेंस शीट' सही है क्योंकि मेरा बेटा भारत में पैदा हुआ और मेरी सबसे छोटी बेटी ह्यून-ही की शादी भारतीय नागरिक से हुई। लगभग 50 साल बाद, अब भी मैं भारतीय लोगों से कहता हूं कि मेरा आधा दिल उनके देश में है।'