अंतिम संस्कार में मदद को 39 दिन श्मशान में सेवा देते रहे संघ के चार स्वयंसेवक
संघ के स्वयंसेवक कुलदीप शर्मा बताते हैं कि मित्र की दादी के अंतिम संस्कार के लिए वह ग्राम करैया हवेली में बनाए गए भोरघाट श्मशान पहुंचे। यहां सिर्फ एक टिन शेड था जहां चिता जलाई जा सकती थी। यहां चिता बनाने वाला भी कोई नहीं था।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Fri, 11 Jun 2021 08:03 PM (IST)
अजय जैन, विदिशा। अप्रैल और मई माह में जब कोरोना की दूसरी लहर में इससे मरने वालों की संख्या बढ़ रही थी तब विदिशा शहर के श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ने लगी थी। वहां काम करने वाले नगर पालिका के कर्मचारी संक्रमित हो गए थे। श्मशान में अव्यवस्था के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चार स्वयंसेवक आगे आए। उन्होंने 39 दिन तक प्रतिदिन नजदीकी गांव में बने श्मशान में न केवल अंतिम संस्कार की व्यवस्था संभाली बल्कि 14 लोगों की अस्थियों का प्रयागराज में विसर्जन भी किया।
संघ के स्वयंसेवक कुलदीप शर्मा बताते हैं कि मित्र की दादी के अंतिम संस्कार के लिए वह ग्राम करैया हवेली में बनाए गए भोरघाट श्मशान पहुंचे। यहां सिर्फ एक टिन शेड था, जहां चिता जलाई जा सकती थी। यहां चिता बनाने वाला भी कोई नहीं था। एक मृतक की मां-बेटी को चिता पर लकड़ी रखते देख वह सिहर गए। कुलदीप ने साथी स्वयंसेवक संजय प्रजापति, ध्रुव चतुर्वेदी सहित अन्य दोस्तों से बात की। संजय, ध्रुव और सुरेंद्र के तैयार होने के बाद 23 अप्रैल से ही वे रोज सुबह श्मशान पहुंच जाते और शाम तक वहां रहते। चिता बनाने से लेकर पंच लकड़ी तक की क्रिया कराते। 31 मई तक उन्होंने 205 कोरोना संक्रमित शवों के दाह संस्कार में मदद की।
स्वजन से रहे अलग, सुरक्षा का रखा ध्यान
संजय प्रजापति बताते हैं कि इस दौरान उनका ठिकाना घर से अलग एक कमरा रहा। बेटी के साथ शाम को भोजन का क्रम भी टूट गया। सुरेंद्र ने भी घरवालों और दोस्तों से दूरी बना ली थी। ध्रुव चतुर्वेदी बताते हैं कि सबने सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा। सभी चेहरे पर दो-दो मास्क और हाथ में दास्ताने पहने रहते थे। चौदह लोगों का अस्थि संचय करने कोई भी नहीं आया। ऐसे में स्वयंसेवकों ने अस्थियों को 14 कलशों में रखा। प्रयागराज पहुंचे और पूरे विधि विधान से पिंडदान कर अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित किया।
विदिशा के कलेक्टर डाक्टर पंकज जैन ने बताया कि कोरोना संक्रमितों के दाह संस्कार के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करवाने के लिए सरकारी कर्मचारियों की टीम भी लगाई थी, लेकिन अन्य व्यवस्था बनाने में जो काम इन चार युवकों ने किया है, वह सराहनीय है।