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पूर्वी और पश्चिमी फ्रेट कारीडोर पर जल्द चलेंगी मालगाडि़यां

15 अगस्त से पश्चिमी कारीडोर के अटेली-फुलेरा सेक्शन पर मालगाडि़यां चलने लगेंगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 09:46 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 09:46 PM (IST)
पूर्वी और पश्चिमी फ्रेट कारीडोर पर जल्द चलेंगी मालगाडि़यां

संजय सिंह, नई दिल्ली। पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर के खुर्जा-भाऊपुर के बीच 350 किलोमीटर के खंड पर नवंबर से मालगाडि़यों का संचालन शुरू हो जाएगा, लेकिन उससे पहले 15 अगस्त से पश्चिमी कारीडोर के अटेली-फुलेरा सेक्शन पर मालगाडि़यां चलने लगेंगी। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी।

अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा के अनुसार अब संपूर्ण डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर के पूरा होने का इंतजार नहीं किया जाएगा। बल्कि जितने खंड तैयार होते जाएंगे उन्हें यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। इस हिसाब से पश्चिमी कारीडोर में अटेली से फुलेरा का खंड तैयार हो चुका है और उस पर ट्रायल चल रहा है। पिछले दिनो चेयरमैन रेलवे बोर्ड अश्र्वनी लोहानी ने इसका निरीक्षण भी किया था।

हरियाणा और राजस्थान से होकर गुजरने वाले इस 190 किलोमीटर के नवनिर्मित फ्रेट ट्रैक पर 15 अगस्त से विधिवत मालगाडि़यां चलाने की योजना है। इसके बाद नवंबर से उत्तर प्रदेश में खुर्जा और भाऊपुर (कानपुर) के बीच मालगाडि़यों का संचालन शुरू करने का प्रस्ताव है। यही नहीं, दिसंबर में पश्चिमी कारीडोर पर रेवाड़ी से मारवाड़ के बीच मालगाडि़यां चलने लगेंगी।

अधिकारी के अनुसार डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर की शुरुआती बाधाएं लगभग दूर हो गई हैं। 98.5 फीसद जमीन का अधिग्रहण होने के बाद दोनो कारीडोर का लगभग 50 फीसद निर्माण पूरा हो गया हो चुका है। बाकी आधा निर्माण कार्य मार्च, 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

इस समर्पित माल गलियारे के तहत मालगाडि़यों के लिए अलग से विशेष ट्रैक बिछाया जा रहा है। इसके तहत लुधियाना से कोलकाता तक पूर्वी गलियारे और दादरी से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट मुंबई तक पश्चिमी गलियारे का निर्माण किया जा रहा है। इस पर शुरू में 28 हजार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान राइट्स ने लगाया था। लेकिन अब कर्ज, उस पर ब्याज और भूमि अधिग्रहण की लागत बढऩे के बाद इसकी लागत बढ़कर 81 हजार करोड़ रुपये हो गई है।

अधिकारी के अनुसार दोनो गलियारों के लिए अकेले भूमि अधिग्रहण पर अब तक 8000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। जबकि परियोजना पूरी होते होते भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़कर 16000 करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। पूरे माल गलियारे का निर्माण अत्याधुनिक ऑटोमैटिक ट्रैक लेइंग मशीनों के जरिए किया जा रहा है, जिससे तैयार होने वाले ट्रैक की गुणवत्ता भारतीय रेलवे के मौजूदा ट्रैक के मुकाबले कई गुना बेहतर है। यही वजह है कि इस पर 25 टन वैगन लोड भारी मालगाडि़यों को भी सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलाना संभव होगा।

डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर चालू होने के साथ दिल्ली-कोलकाता तथा दिल्ली-मुंबई के बीच के दो प्रमुख व्यस्ततम ट्रैक मालगाडि़यों से मुक्त हो जाएंगे जिससे इन पर अधिक संख्या और रफ्तार में यात्री गाडि़यों को चलाया जा सकेगा। इससे लोगों को इस रूट की ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट की समस्या से काफी हद तक निजात मिलने की उम्मीद है।


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