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Himalayan Yak: FSSAI ने हिमालयी याक को Food Animal के रूप में दी मंजूरी, किसानों को होगा आर्थिक लाभ

FSSAI ने हिमालयी याक (Himalayan Yak) को Food Animal के रूप में मंजूरी दे दी है। FSSAI द्वारी इसकी मंजूरी मिलने के बाद अत्यधिक ऊंचाई पर रहने वाले जानवरों की आबादी में तेजी से हो रही गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 27 Nov 2022 05:27 PM (IST)
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FSSAI ने हिमालयी याक को Food Animal के रूप में दी मंजूरी। फाइल फोटो।
ईटानगर, पीटीआइ। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हिमालयी याक (Himalayan Yak) को 'Food Animal' के रूप में मंजूरी दे दी है। FSSAI द्वारी इसकी मंजूरी मिलने के बाद अत्यधिक ऊंचाई पर रहने वाले जानवरों की आबादी में तेजी से हो रही गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (NRC) याक के निदेशक डा मिहिर सरकार ने कहा कि देश में याक की आबादी पिछले कुछ वर्षों में खतरनाक दर से घटी है। मालूम हो कि हिमालयी याक का प्रयोग पारंपरिक रूप से दुध और मांस के लिए किया जाता है।

NRC ने साल 2021 में दिया था प्रस्ताव

Mihir Sarkar ने बताया कि राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र याक ने खाद्य पशु के रूप में मानने के लिए साल 2021 में ही FSSAI को एक प्रस्ताव दिया था। हालांकि FSSAI ने पशुपालन और डेयरी विभाग की सिफारिशों के बाद इसकी आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। मालूम हो कि Food Animals वह पशु होते हैं, जिन्हें मनुष्यों द्वारा खाद्य उत्पादन या सेवन के लिए पाला और उपयोग किया जाता है।

किसानों को होगा फायदा

ये पशु हिमालयी इलाकों के उच्च स्थानों पर रहने वाले लोगों के लिए बहुआयामी सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक भूमिका निभाते हैं। वहां के लोग कृषि गतिविधियों में शामिल करने के साथ-साथ याक को अपनी पोषण और आजीविका सुरक्षा अर्जित करने के लिए भी पालते हैं। डाक्टर सरकार ने कहा कि खाद्य उत्पादक पशु के रूप में याक की FSSAI की मान्यता से किसानों को पशु पालन के लिए आर्थिक रूप से लाभान्वित होने में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही किसानों और Food Processors दोनों को इससे आर्थिक फायदा होगा।

आबादी में हो रही है तेजी से कमी

डाक्टर सरकार ने बताया कि देश में याक की आबादी पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से कम हुई है। उन्होंने कहा कि साल 2019 में हुई जनगणना के मुताबिक, भारत में कुल 58000 याक हैं, जो साल 2012 में की गई जनगणना की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत कम है। मालूम हो कि याक का दूध अत्यधिक पौष्टिक, वसा से भरपूर, आवश्यक खनिज युक्त और औषधीय महत्व वाला होता है।

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