क्या आपकी गाड़ी कम एवरेज दे रही है, कारण कहीं ये तो नहीं?
पिछड़े इलाकों या राज्यों की बात छोड़ ही दीजिए, राजधानी दिल्ली में भी सड़कों पर गड्ढे दिखना आम बात है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। जीवन की भागदौड़ में आगे निकलने के लिए हम सब भरसक कोशिश करते हैं। इस दौड़ में हमारी मदद करते हैं वाहन। अपनी भागदौड़ की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसान ने तमाम तरह के वाहन विकसित किए हैं। इन वाहनों को भी चलने के लिए ईंधन (पेट्रोल-डीजल) की जरूरत होती है। हालांकि निरंतर बदलती तकनीक में अब विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक कारें भी मौजूद हैं, लेकिन फिर भी ज्यादातर वाहन पेट्रोल-डीजल पर ही रफ्तार भरते हैं।
इसी पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दाम हर आम और खास व्यक्ति को परेशान करते हैं। खासकर भारत जैसे देश में जहां की ईंधन आपूर्ति का अधिकत्तम हिस्सा आयात होता है, यह और भी परेशान करने वाला है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों का सीधा असर यहां खुदरा व्यापार पर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें कम होने से देश को जितना फायदा होना चाहिए, उतना होता नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण है खराब सड़कें।
सड़कों के गड्ढे बढ़ा रहे तेल का बोझ
पिछड़े इलाकों या राज्यों की बात छोड़ ही दीजिए, राजधानी दिल्ली में भी सड़कों पर गड्ढे दिखना आम बात है। टूटी सड़कें जहां तमाम छोटे-बड़े हादसों के लिए जिम्मेदार होती हैं, वहीं इनकी वजह से वाहनों की रफ्तार भी थम जाती है। रफ्तार कम होने से तमाम सड़कों पर घंटों लंबा जाम लग जाता है, जिसकी वजह से पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक टूटी-फूटी और खराब सड़कों की वजह से देश को हर साल 87 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ता है।
ऑटो एक्सपर्ट बनी कालरा का भी कहना है, 'टूटी-फूटी सड़कों पर वाहन चलाते समय क्लच और ब्रेक का बार-बार प्रयोग करना पड़ता है। इसकी वजह से गाड़ी का एवरेज घट जाता है।'
खराब ट्रैफिक मैनेजमेंट भी कारण
पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ने का एक प्रमुख कारण देशभर में खराब ट्रैफिक मैनेजमेंट भी है। इसकी वजह से वाहन बेतरतीब तरीके से आकर किसी चौराहे या तिराहे पर जमा हो जाते हैं। इसके बाद घंटों लगने वाले जाम में लाखों-करोड़ों रुपये का पेट्रोल-डीजल भी स्वाह हो जाता है। इससे न सिर्फ आपकी और हमारी जेब पर असर पड़ता है, बल्कि देश को भी ज्यादा मात्रा में क्रूड ऑयल का आयात करके बहुमूल्य विदेशी मुद्रा गंवानी पड़ती है।
लगातार बढ़ रहा है तेल घाटा
भारत का तेल घाटा लगातार बढ़ रहा है और यह आयात प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। इसी के साथ-साथ देश में तेल घाटा भी बढ़ रहा है। ऐसे में सड़क पर बने गड्ढ़े भी ईंधन की ज्यादा खपत का एक कारण हो होते हैं। भारत में तेल घाटे को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का चालू खाता घाटा 10 अरब डॉलर बढ़कर 30 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। घाटे की एक प्रमुख वजह तेल का आयत बढ़ना भी है।
यह भी पढ़ें: ... दक्षिण चीन सागर नहीं बल्कि इस वजह से भारत से खफा है चीन
भारत में रोजाना 37 लाख बैरल के आसपास क्रूड आयल की खपत होती है। हम अपनी खपत को पूरा करने के लिए करीब 80 फीसदी तेल आयात करते हैं। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पेट्रोल और डीजल पर असर डालती है। रुपये में कमजोरी आने पर क्रूड का आयात महंगा हो जाता है।
इसके अलावा ईंधन की डिमांड और सप्लाई पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय होती हैं। ईंधन की बचत के सार्वजनिक वाहनों को भी तरजीह देना चाहिए, ताकि तेल घाटे को कम किया जा सके।
यह भी पढ़ें: CPEC को लेकर पाकिस्तान से लगने लगा है चीन को डर, जानें क्यों
यह भी पढ़ें: जानें, वो राज जो हमेशा के लिए हो जाते हैं दफन