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2022 तक सभी रेलवे लाइन हो जाएंगी इलेक्ट्रिक, जानिये क्‍या होगा फायदा

रेलवे बोर्ड के सदस्य, ट्रैक्शन घनश्याम सिंह ने कहा कि पूर्ण विद्युतीकरण से देश के एक कोने से चली ट्रेन दूसरे कोने तक कम समय व खर्च में निर्बाध तरीके से पहुंच सकेगी

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 24 Sep 2018 09:14 PM (IST)
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2022 तक सभी रेलवे लाइन हो जाएंगी इलेक्ट्रिक, जानिये क्‍या होगा फायदा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप ट्रेनों की औसत रफ्तार 10-15 फीसद बढ़ जाएगी। रेलवे बोर्ड के सदस्य, ट्रैक्शन घनश्याम सिंह के मुताबिक, 'पूर्ण विद्युतीकरण से न केवल ट्रेनों की रफ्तार 10-15 फीसद बढ़ जाएगी बल्कि परिसंपत्तियों के उपयोग और और लाइन क्षमता में भी इतना ही इजाफा होगा। इसका लाभ अंतत: सामान एवं यात्रियों की ढुलाई के साथ आय में बढ़ोतरी के रूप में दिखाई देगा।'

उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का फैसला बहुत सोच-समझ कर लिया गया है। इसमें खर्च तो लगभग तेरह हजार करोड़ रुपये ही होंगे। लेकिन इसके आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभ कई गुना अधिक होंगे। अभी देश में कुल 67,368 रूट किलोमीटर (रूट किमी में पटरी की उतनी ही लंबाई मापी जाती है जो रूट में शामिल होती है और जिसके लिए किराया-भाड़ा वसूला जाता है) रेलवे ट्रैक है। इसमें केवल 30,212 रूट किलोमीटर ट्रैक विद्युतीकृत हैं। जबकि बाकी 37,156 रूट किलोमीटर गैर-विद्युतीकृत है।

विद्युतीकृत ट्रैक की खासियत ये है कि इस पर इलेक्ट्रिक के अलावा डीजल इंजन चालित ट्रेने भी चलाई जा सकती है। जबकि गैर-विद्युतीकृत ट्रैक पर केवल डीजल इंजन चालित गाडि़यों का संचालन संभव है। पूर्ण विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप जगह-जगह बिखरे छोटे-छोटे अविद्यतीकृत खंड भी विद्युतीकृत हो जाएंगे। इससे देश के एक कोने से चली ट्रेन दूसरे कोने तक कम समय व खर्च में निर्बाध तरीके से पहुंच सकेगी।

घनश्याम सिंह ने कहा, 'अब तक 29 हजार रूट किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण हो चुका है। 20 हजार रूट किलोमीटर पर काम चल रहा है। जबकि लगभग 13 हजार रूट किलोमीटर के विद्युतीकरण को हाल ही में मंजूरी दी गई है।'

गौरतलब है कि सरकार ने 2022 तक ब्रॉड गेज की सभी लाइनों को विद्युतीकृत करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट से पिछले दिनो मंजूर इस योजना के अमल में 13,675 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।

पूरी तरह समाप्त नहीं होगा डीजल इंजनों का उपयोग 
पूर्ण विद्युतीकरण के बावजूद डीजल इंजनों का उपयोग पूरी तरह समाप्त नहीं होगा। सिंह के अनुसार, 'विद्युतीकरण के बावजूद लगभग 1000 डीजल इंजनों की जरूरत आपदा प्रबंधन एवं रणनीतिक कार्यो के लिए पड़ेगी। फिलहाल रेलवे के पास 55 हजार डीजल इंजन और इतने ही इलेक्ट्रिक इंजन हैं। इनमें 100 इंजन हर साल आयु पूरी कर कबाड़ बन जाते हैं।

विद्युतीकरण के क्रम में बाकी बचे सभी डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक में तब्दील किया जाएगा। जबकि एक हजार डीजल इंजनों की जरूरत मढ़ौरा डीजल लोको फैक्ट्री के माध्यम से पूरी की जाएगी। मढ़ौरा में दस वर्ष के दौरान 4500-6000 हार्स पावर क्षमता वाले 100 इंजनों का सालाना निर्माण होगा।

डीजल इंजनों को इलेक्टि्रक इंजन में तब्दील करने की प्रक्रिया वाराणसी स्थिति डीजल लोकोमोटिव व‌र्क्स में प्रारंभ हो चुकी है। अब तक दो डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक में बदला जा चुका है। जबकि इतने ही अन्य इंजन रूपांतरण प्रक्रिया के अधीन हैं। डीएलडब्लू में 5-6 हजार हॉर्स पावर क्षमता वाले डेढ़-दो सौ डीजल इंजन हर साल बनते हैं। धीरे-धीरे ये सभी इलेक्ट्रिक में तब्दील हो जाएंगे।