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S Jaishankar visit to Moscow: देश की जनता को किफायती दर पर ईंधन देना सरकार का मौलिक कर्तव्य : जयशंकर

रूस के विदेश मंत्री लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद दुनिया को जवाब- कहा रूस से ज्यादा तेल की खरीद को आगे भी जारी रखने की होगी कोशिश। यूक्रेन मुद्दे पर पीएम मोदी का बयान दोहराया कहा- यह युद्ध का समय नहीं।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 08 Nov 2022 09:11 PM (IST)
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आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार देश है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस से ईंधन नहीं खरीदने का दबाव बना रहे अमेरिका और पश्चिमी देशों को भारत ने एक बार फिर करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अपने नागरिकों को किफायती दर पर ईंधन उपलब्ध कराना भारत सरकार का मौलिक कर्तव्य है। जयशंकर मंगलवार को मास्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस वर्ष भारत ने रूस से ज्यादा तेल की खरीद शुरू की है जिसे आगे भी जारी रखने की कोशिश होगी।

यूक्रेन के मुद्दे पर जयशंकर ने फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान को दोहराया कि यह युद्ध का समय नहीं है और दोनों पक्षों को बगैर किसी देरी के वार्ता व कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए।

लावरोव के साथ बैठक के बाद जयशंकर से पूछा गया कि वह रूस के साथ अपने रिश्तों को लेकर बाहरी देशों के दबाव पर क्या कहेंगे? तो उनका जवाब था कि, मैं अपनी सरकार के एक बड़े दल के साथ यहां आया हूं, यह बहुत कुछ कहता है। रूस हमारा पुराना और हर समय साथ देने वाला साझीदार है। उसने कई दशकों से हमारी मदद की है। जहां तक रूस से तेल खरीद की बात है तो अभी ऊर्जा बाजार में कई वजहों से काफी अस्थिरता है।

आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार देश है। यह हमारा मौलिक कर्तव्य है कि अपने ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से किफायती दर पर ईंधन खरीदकर दें। अगर रूस से हमें इसमें मदद मिल रही है तो हम आगे भी इसे जारी रखेंगे।' जयशंकर के साथ रूस गए बड़े दल में पेट्रोलियम मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय और रसायन मंत्रालय के भी बड़े अधिकारी शामिल हैं। उनके बीच बहुधुव्रीय दुनिया बनाने में सहयोग करने पर बात हुई है।

एशिया भी बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा

जयशंकर ने तो यह भी कहा है कि बहुधुव्रीय दुनिया के साथ ही एशिया भी बहुधुव्रीय व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में रूस व भारत के बीच काफी सहयोग की गुंजाइश है। सनद रहे कि अभी रूस के चीन के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं और चीन बहुधुव्रीय एशिया की संभावनाओं को सिरे से खारिज करता है। इसके पीछे उसकी मंशा यही है कि एशिया में उसका ही वर्चस्व हो, जबकि भारत का कहना है कि एशिया में एक से ज्यादा शक्तिशाली देशों की भूमिका केंद्र में होगी। रूस की तरफ से बहुधुव्रीय एशिया से जुड़े भारत के बयान पर तुरंत जवाब नहीं आया है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा भी उठाया

जयशंकर ने संवाददाता सम्मलेन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा भी उठाया और कहा कि दोनों देशों का हित इसमें है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समृद्धि व संपन्नता हो। हम दोनों देश वहां आसियान देशों की केंद्रीय भूमिका के पक्षधर हैं। हमने बात की है कि किस तरह से वहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हितों की रक्षा की जा सकती है और किस तरह वैश्विक नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सकता है। बताते चलें कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिका और भारत के नेतृत्व में नए क्वाड गठबंधन को लेकर रूस अभी तक कई बार अपनी चिंता प्रकट कर चुका है।

अफगानिस्तान को न भूले विश्व बिरादरी

जयशंकर ने अफगानिस्तान का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया और विश्व बिरादरी को कहा कि उसे अफगानिस्तान को नहीं भूलना चाहिए। भारत अपनी तरफ से मदद कर रहा है, लेकिन उसे वह तवज्जो नहीं मिल रही जो मिलनी चाहिए। खास तौर पर उसके पड़ोसी देशों को अपने वादे को निभाना चाहिए कि वे अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देंगे।

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रूस के साथ कारोबारी घाटे पर जताई चिंता

जयशंकर ने कहा, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार में इस साल काफी अच्छी वृद्धि हुई है। हम इसे और ज्यादा टिकाऊ बनाना चाहते हैं। लेकिन बढ़ते कारोबारी घाटे को लेकर चिंता भी है और रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने को लेकर भी बात हुई है।'

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