अफ्रीकी यूनियन को समूह में शामिल करने पर जी-20 सहमत, PM मोदी ने सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को लिखा था पत्र
भारत के आग्रह पर ही साइबर सुरक्षा के एजेंडे पर अंतिम फैसला हुआ है जिसे शुक्रवार को जारी किया गया।दुनिया का हर देश इस समस्या से त्रस्त है। इसी तरह कर्ज में डूबे देशों को राहत देने को लेकर अब जी-20 ज्यादा मुखर भूमिका निभाने को तैयार है। भारत ने साबित किया है कि जी-20 दुनिया की बड़ी समस्याओं का समाधान करने का एक वास्तविक मंच बन सकता है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 14 Jul 2023 08:07 PM (IST)
जयप्रकाश रंजन, हम्पी। जी-20 देशों के शेरपाओं की चल रही तीसरी बैठक में भू-राजनीतिक मुद्दे को लेकर पहले से चल रहे विवाद का मामला फंसा हुआ है, लेकिन इस समूह में अफ्रीकी देशों की यूनियन (अफ्रीकी यूनियन) को शामिल करने को लेकर मोटे तौर पर सहमति बनती नजर आ रही है।
इस बात की संभावना है कि सितंबर, 2023 में नई दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी यूनियन को जी-20 में शामिल करने की घोषणा हो जाए। इस तरह के किसी बड़े वैश्विक रणनीतिक समूह में अफ्रीकी देशों को पहली बार प्रतिनिधित्व मिलेगा।
अफ्रीका को प्रतिनिधित्व दिलाने की कोशिश कर रहा भारत
अफ्रीका को प्रतिनिधित्व दिलाने की कोशिश भारत किस तरह से कर रहा है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि जून, 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को पत्र लिखकर इसका प्रस्ताव किया था।जी-20 की भारत की अध्यक्षता में होने वाली यह तीसरी शेरपा बैठक है। इसमें शामिल कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2008 में जब जी-20 समूह की बैठक शीर्ष नेताओं के स्तर पर कराने का फैसला किया गया था, उसके बाद इस समूह का सबसे बड़ा फैसला यही होगा कि इसमें अफ्रीका को प्रतिनिधित्व मिलेगा।
बाली (इंडोनेशिया) में पिछले वर्ष हुए शिखर सम्मेलन में अध्यक्षता स्वीकार करते हुए भारत ने यह स्पष्ट किया था कि गरीब व विकासशील देशों को प्रतिनिधित्व देना उसकी अहम प्राथमिकता होगी। इसके तहत ही भारत ने इसमें अफ्रीका के दो देशों नाइजीरिया और मिस्र को बतौर विशेष अतिथि आमंत्रित किया था। भारत की कोशिश से शीर्ष स्तरीय नेताओं की बैठक में अंतिम फैसला होने के बाद अगले वर्ष से अफ्रीकी यूनियन का प्रतिनिधि हर जी-20 बैठक में हिस्सा लेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या जी-20 का नाम बदला जा सकता है, उक्त सूत्रों का कहना है कि इस बारे में भविष्य में फैसला हो सकता है। नाम समान रह सकता है और बदला भी जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि सिर्फ अफ्रीकी यूनियन को शामिल करने को लेकर ही नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और दूसरे विकासशील देशों को मदद पहुंचाने के मुद्दे पर भारत की तरफ से पेश दूसरे कई प्रस्तावों पर भी अधिकांश देशों का समर्थन हासिल हुआ है।