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जी-20 शेरपा बैठक में जटिल मुद्दों पर सहमति बनने की संभावना कम, नौ-10 सितंबर को होगी शीर्ष नेताओं की बैठक

भारतीय शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि भारत ने घोषणापत्र का जो प्रस्ताव तैयार किया है वह काफी व्यापक है और इसे सभी देशों के हितों खासतौर पर विकासशील व गरीब देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 14 Jul 2023 12:18 AM (IST)
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जी-20 शेरपा बैठक में जटिल मुद्दों पर सहमति बनने की संभावना कम
जयप्रकाश रंजन, हम्पी। आगामी नौ और 10 सितंबर को जी-20 देशों के शीर्ष नेताओं की होने वाली बैठक में पारित होने वाले प्रस्तावों को लेकर सहमति बनाने की कोशिश के तहत सदस्य देशों के शेरपाओं की बैठक यहां गुरुवार को शुरू हुई। बैठक का माहौल कोई बहुत उत्साहजनक नहीं है।

यूक्रेन के मुद्दे का साया बैठक पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। इस बात की संभावना कम ही है कि जिन मुद्दों पर पूर्व में जी-20 के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक में सहमति नहीं बन पाई थी, उन पर दो खेमों में बंटे समूहों के व्यवहार में नरमी आएगी।

इसके बावजूद जी-20 के लिए भारत के शेरपा अमिताभ कांत की तरफ से एक सामूहिक प्रस्ताव के एजेंडे पर कोशिश हो रही है। 14 और 15 जुलाई का दिन महत्वपूर्ण होगा जब हर एजेंडे पर एक-एक करके सभी देशों के शेरपाओं की तरफ से विचार सामने रखे जाएंगे।

तकरीबन 120 प्रतिनिधि ले रहे हिस्सा

कर्नाटक के इस ऐतिहासिक पर्यटक स्थल पर हो रही इस बैठक में जी-20 देशों के अलावा भारत की तरफ से विशेष तौर पर आमंत्रित और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के तकरीबन 120 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। यह जी-20 देशों के शेरपाओं की तीसरी बैठक है। इसके बाद शीर्ष नेताओं की बैठक के ठीक पहले एक अंतिम बैठक होगी जिसमें भावी घोषणा पत्र पर भी बात होगी।

भारतीय शेरपा अमिताभ ने कहा कि भारत ने घोषणापत्र का जो प्रस्ताव तैयार किया है वह काफी व्यापक है और इसे सभी देशों के हितों खासतौर पर विकासशील व गरीब देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। हम उन सभी मुद्दों को उठाना चाहते हैं जो वैश्विक आर्थिक विकास की राह में अभी चुनौती बन रहे हैं या भविष्य में बन सकते हैं।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से तय वर्ष 2030 तक के लिए तय सहस्त्राब्दि लक्ष्यों को नए सिरे से लागू करने पर सभी देशों के बीच सहमति बनाने की भी कोशिश जारी है। हरित विकास, पर्यावरण की सुरक्षा, सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना, ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना, 21वीं सदी के लिए बहुराष्ट्रीय संगठनों में सुधार करने जैसे मुद्दों पर भी इस बैठक में विचार होगा। इस तरह के कई दूसरे मुद्दे भी हैं।

'सभी देशों के सुझावों को शामिल करने को तैयार हम'

भारतीय शेरपा का कहना है कि भारत की कोशिश है कि सितंबर में भारत की अध्यक्षता में जो लीडर्स घोषणापत्र जारी हो, वह ऐसा लगे कि वाकई इससे दुनिया का नेतृत्व किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विकास से जुड़े जो मुद्दे हैं उन पर मोटे तौर पर भारत के प्रस्ताव को लेकर दूसरे सभी देशों ने सहमति जताई है। जिन पर इनको कुछ समस्या है, उस पर बात की जा रही है। हम सभी देशों के सुझावों को शामिल करने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि विकास दर को बढ़ाने, विकास के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने जैसे मुद्दे हैं जिस पर ज्यादातर लोग तैयार हैं। कुछ भूराजनैतिक मुद्दे हैं जिन पर विवाद है और हम उन पर एक-दूसरे से द्विपक्षीय तौर पर बात कर रहे हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर क्या बोले कांत?

रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में कांत ने कहा कि यह हमारा मुद्दा नहीं है, यह विकासशील देशों का मुद्दा नहीं है। हमारी प्राथमिकता आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है, तकनीकी विकास करना है, लैंगिक विभेद को समाप्त करना है। हम सकारात्मक विचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अगर प्रौद्योगिकी रोडमैप पर कोई सहमति बन जाती है तो यह दुनिया के अधिकांश देशों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।