फ्रांस ने की भारत को UNSC का स्थाई सदस्य बनाने की मांग, जी-4 के देशों ने कहा- लंबे समय तक टाला नहीं जा सकता सुधार
भारत ने जर्मनी जापान और ब्राजील के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। चारों देशों के संगठन समूह-चार (जी-4) विदेश मंत्रियों की न्यूयार्क में बैठक हुई है जिसके बाद यूएनएससी में सुधार में हो रही देरी पर चिंता जताई गई है। पढ़ें जी-4 ने अपने बयान में क्या-क्या कहा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की जोरदार वकालत की थी और संयुक्त राष्ट्र को अतीत का बंदी कह कर संबोधित किया था। अब भारत ने जर्मनी, जापान और ब्राजील के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है।
उक्त चारों देशों के संगठन समूह-चार (जी-4) विदेश मंत्रियों की न्यूयार्क (अमेरिका) में बैठक हुई है, जिसके बाद यूएनएससी में सुधार में हो रही देरी पर चिंता जताई गई है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे को अब ज्यादा दिनों तक लंबित नहीं रखें।
फ्रांस ने किया समर्थन
यह भी उल्लेखनीय है कि इन चारों देशों की तरफ से संयुक्त बयान जारी करने के कुछ ही घंटे बाद फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रो ने यूएन महासभा को संबोधित करते हुए भारत को यूएनएससी का स्थाई सदस्य बनाने की मांग रखी है। मैक्रो ने जी-4 के अन्य तीनों देशों के साथ ही दो अफ्रीकी देशों को भी यूएनएससी में शामिल करने की बात कही है।जी-4 देशों ने कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र को मौजूदा वैश्विक हालात की वास्तविकताओं के मुताबिक तैयार करना है तो इसके सुरक्षा परिषद में महत्वपूर्ण बदलाव करना सबसे जरूरी है। 22-23 सितंबर, 2024 को संयुक्त राष्ट्र के तहत आयोजित समिट ऑफ द फ्यूचर में भी कई नेताओं ने इसमें सुधार की मांग की है।
'स्थाई और अस्थाई देशों की संख्या बढ़ाने की मांग'
इन्होंने यूएनएससी के स्थाई और अस्थाई देशों की संख्या बढ़ाने की मांग करते हुए कहा है कि इससे ही परिषद को ज्यादा प्रभावशाली बनाया जा सकेगा। इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय शांति व स्थिरता के लिए विकासशील देशों ज्यादा भूमिका सुनिश्चित की जा सकती है।इन्होंने अफ्रीका, लातिनी अमेरिकी, एशिया-प्रशांत व कैरिबियन देशों को यूएनएससी में कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिये जाने का मुद्दा भी उठाया है। जी-4 देशों ने कहा है कि अगले वर्ष 2025 में यूएन की स्थापना का 80वीं वर्षगांठ बनाई जाएगी और उसे देखते हुए इसमें सुधार को प्राथमिकता से लेने की जरूरत है। इस बारे में लक्ष्य निर्धारित करके काम करना पड़ेगा।