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G20 Summit 2023: जी-20 बैठक का फैसला, छोटे उद्यमियों की बढ़ेगी वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी

जी-20 शिखर नेताओं की बैठक में भारत ने सिर्फ गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास के लिए ही सभी देशों को राजी नहीं किया बल्कि छोटे उद्यमियों के विकास का भी पूरा ख्याल रखा। भारत का मानना है कि सूचना व डाटा के अभाव में एमएसएमई बड़ी टेक कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पाती है जबकि कारोबार का एमएसएमई को भी समान अवसर मिलना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 10 Sep 2023 10:56 PM (IST)
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जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक का फैसला (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जी-20 शिखर नेताओं की बैठक में भारत ने सिर्फ गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास के लिए ही सभी देशों को राजी नहीं किया, बल्कि छोटे उद्यमियों के विकास का भी पूरा ख्याल रखा।

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डाटा एक्सचेंज का होगा गठन

शिखर सम्मेलन में बनी रजामंदी के मुताबिक, अब सभी देशों के एमएसएमई आसानी से वैश्विक कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेंगे और इस काम के लिए उन्हें पर्याप्त सूचना मुहैया कराई जाएंगी। इस काम के लिए वैश्विक व्यापार एजेंसी की माध्यम से डाटा एक्सचेंज का गठन किया जाएगा। सभी देशों के एमएसएमई इस एक्सचेंज के माध्यम से अपने सामान की बिक्री की संभावना व बाजार तलाश सकेंगे।

भारत का मानना है कि सूचना व डाटा के अभाव में एमएसएमई बड़ी टेक कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पाती है, जबकि कारोबार का एमएसएमई को भी समान अवसर मिलना चाहिए। इसलिए सभी देशों के खासकर विकासशील व गरीब देशों के एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से भारत ने यह एजेंडा तय किया था।

जेनेरिक फ्रेमवर्क बनाने पर बनी सहमति

भारत के जीडीपी में भी एमएसएमई की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत के आसपास है। शिखर सम्मेलन में ग्लोबल वैल्यू चेन की मैपिंग को लेकर एक जेनेरिक फ्रेमवर्क बनाने पर सहमति बनी। इसके तहत वैल्यू चेन या वस्तुओं की सप्लाई के लिए चुनिंदा देश पर निर्भर नहीं रहकर उसके विकल्प को तलाशना है।

जेनेरिक फ्रेमवर्क के तहत यह पता लगाया जाएगा कि कौन-कौन सी वस्तुएं किन-किन देशों में आसानी से उपलब्ध है ताकि किसी एक देश पर सप्लाई की निर्भरता नहीं रहे।

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वैश्विक व्यापार से जुड़े दस्तावेज होंगे डिजिटल

कोरोना महामारी के बाद सप्लाई चेन के विकल्प की जबरदस्त जरूरत महसूस की गई। इस बात को लेकर भी सहमति बनी है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अति कम विकसित देश (LDC) की भागीदारी को कैसे बढ़ाया जाए और उन देशों को भी वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाया जाए।

इस बात को लेकर भी सहमति बनाई गई कि वैश्विक व्यापार से जुड़े दस्तावेज पूरी तरह से डिजिटल होंगे। अभी दो देशों के बीच व्यापार की प्रक्रिया पूरी करने में काफी दस्तावेज का इस्तेमाल होता है। प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल कर देने पर लागत में कमी आएगी। हालांकि डिजिटल दस्तावेज की सुरक्षा की भी गारंटी होगी।