G20 Summit: 200 घंटे चर्चा के बाद बनी आम सहमति, भारत की गंभीर विमर्श को देख चीन ने भी दिया समर्थन
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने और आसियान बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समक्षकों से संयुक्त घोषणा पत्र को संभव बनाने के लिए विमर्श कर काफी हद तक जमीन तैयार कर ली थी। लेकिन नई दिल्ली में शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम के सदस्यों को यह डर सता रहा था कि कहीं अंतिम समय में कोई देश पीछे ना हो जाए।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 10 Sep 2023 07:21 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जी-20 शिखर सम्मेलन सम्मेलन के शुरू होने से पहले जब दुनिया भर के मीडिया व विशेषज्ञों ने यह लिख रहे थे कि पहली बार जी20 देश कोई साझा घोषणा पत्र जारी नहीं करेंगे, तब भारतीय पक्षकार सभी देशों के प्रतिनिधियों से नये सिरे से बातचीत की शुरुआत कर रहे थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निभाई खास भूमिका
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने और आसियान बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समक्षकों से संयुक्त घोषणा पत्र को संभव बनाने के लिए विमर्श कर काफी हद तक जमीन तैयार कर ली थी। लेकिन नई दिल्ली में शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम के सदस्यों को यह डर सता रहा था कि कहीं अंतिम समय में कोई देश पीछे ना हो जाए।
विभिन्न स्तरों पर कई बार हुई बातचीत
07 सितंबर और 08 सितंबर को विभिन्न स्तरों पर कई बार वार्ताएं हुई। कुछ देशों के साथ देर रात तक विमर्श चला और उनके हिसाब से प्रस्ताव में बदलाव भी किया गया। अंत में यूक्रेन को लेकर घोषणा-पत्र में जिस भाषा का प्रस्ताव अंत में भारत की तरफ से किया गया, उसको लेकर हर देश तैयार हुए। नतीजा सबके सामने है।
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क्या कहना है विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का?
तुर्की के राष्ट्रपति तैयप्प एर्दोगेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रा, जापान के पीएम फुमियो किशिदा, इटली की पीएम मेलोनी. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अपने अपने प्रेस कांफ्रेंस में संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमति बनाने को लेकर भारत की कोशिशों की जम कर तारीफ की है। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि साझा सहमति बनाने के लिए भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी से लेकर शेरपा कार्यालय में काम करने वाले सहयोगी वार्ताकारों तक की भूमिका बड़ी रही।