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G20 Summit: वैश्विक कूटनीति सधा, घरेलू राजनीति भी सधेगी; PM मोदी की नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाएगा जी-20

दिल्ली में जी-20 का जिस स्तर पर वैभवशाली आयोजन हुआ वह तो सबके सामने है लेकिन यह आयोजन सिर्फ भारत की मेजबानी के लिए ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास के लिए भी जाना जाएगा। खासकर तब जबकि प्रधानमंत्री ने अपने शासन के मंत्र- सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास को वैश्विक शासनतंत्र का भी मूल बनाने का प्रयास किया है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 09 Sep 2023 06:33 PM (IST)
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जी-20 की अध्यक्षता कर रहा भारत (फोटो: रायटर)
आशुतोष झा, नई दिल्ली। दिल्ली में जी-20 का जिस स्तर पर वैभवशाली आयोजन हुआ वह तो सबके सामने है, लेकिन यह आयोजन सिर्फ भारत की मेजबानी के लिए ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास के लिए भी जाना जाएगा। वैश्विक स्तर पर भी और घरेलू स्तर भी यह ब्रांड मोदी को और मजबूत करेगा।

खासकर तब जबकि प्रधानमंत्री ने अपने शासन के मंत्र- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास को वैश्विक शासनतंत्र का भी मूल बनाने का प्रयास किया है।

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जी 20 के उदघाटन भाषण में वसुधैव कुटंबकम की दिशा में आगे बढ़ते हुए ही उन्होंने वैश्विक नेताओं से परोक्ष रूप से अपील की कि इसी मंत्र को अपनाना पड़ेगा। यह मानने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि चाहे अनचाहे इस सबका असर घरेलू राजनीति पर भी दिखेगा। भारतीय राजनीति में 2019 शायद पहला चुनाव था जिसमें अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी चर्चा हो रही थी।

मोदी के नए प्रशंसकों में ऐसे लोगों की भरमार थी, जो यह देखकर गौरवान्वित थे कि भारत अग्रिम पंक्ति के देशों में इज्जत के साथ खड़ा हो रहा है। विकसित देश भी प्रधानमंत्री मोदी के रूप में भारत को पूरा सम्मान देने के लिए मजबूर हो रहे थे।

माना जाता है कि 2019 के चुनाव में बड़ी जीत में इसका भी असर था। तब से लेकर अबतक देश और आगे निकल चुका है। कोविड काल में अपने बलबूते पूरे देश को और कई पिछड़े देशों को उबारने वाले भारत, आर्थिक संकट से बड़े देश भी विचलित हो रहे हों, तब खुद को बचाने वाला भारत, कई बड़े देशों के न चाहने के बावजूद अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल करवाने वाला भारत अब पहली पंक्ति में शामिल होने से आगे बढ़कर नेतृत्व की भूमिका में खुद को पेश कर चुका है।

'घरेलू राजनीति पर होता है कूटनीति का असर'

कुछ दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी एक मीडिया से बातचीत में माना था कि कूटनीति का असर घरेलू राजनीति पर होता है। उन्होंने इसका समर्थन किया था कि विश्व में देश की क्या हैसियत है इसपर चर्चा होनी चाहिए। जी 20 के घोषणापत्र में जिस तरह सौ फीसद एकमत दिखे वह भी यही दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी रूस यूक्रेन को लेकर बंटे विश्व को भी एकजुट कर सकते हैं। यह भारत की धमक को दमदार बनाता है।

जाहिर है भाजपा अगले चुनाव में जी-20 को बड़े जोर शोर से प्रचारित करने वाली है। गौरतलब है कि घरेलू राजनीति में विपक्ष की ओर से लोकतंत्र को खतरे में बताया जा रहा है। देश में नफरत के माहौल का आरोप लगाया जा रहा है। ठीक जी-20 के वक्त ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से ब्रुसेल्स में यही आरोप दोहराया गया है।

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'वसुधैव कुटंबकम'

कुछ दिन पहले आइएनडीआइए के घटकदल द्रमुक के नेता उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की आलोचना की और कुछ नेता उनके समर्थन में तो अधिकतर चुप्पी में दिखे। ऐसे में सरकार ने जी-20 थीम सनातन धर्म के वसुधैव कुटंबकम पर रखी और शासन के मंत्र के रूप में मोदी मंत्र को सामने रख दिया गया।

जी-20 में मोदी जिस जगह स्वागत के लिए खड़े थे, उसके पीछे 13वीं सदी का कोनार्क का वह कालचक्र था, जो विकास और सतत बदलाव के साथ-साथ लोकतंत्र में विचारों के लचीलेपन और समाज के विकास का भी प्रतीक माना जाता है।

जी-20 में आए वैश्विक नेताओं में जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्ता को लेकर कोशिश थी वह भी मोदी काल में भारत की बढ़ी हैसियत की ओर ही इशारा करता है। कुल 15 नेताओं के साथ मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होनी है। स्पष्ट है कि जी-20 का सफल आयोजन बाहर भी साधेगा और घर के अंदर भी।