इंडोनेशिया के बाली से बढ़ेगा विश्व का राजनीतिक पारा, वजह है G-20 Summit और इसमें मौजूद बाइडन, शी और लावरोव
G-20 Summit बाली में होने वाला ग्रुप-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन इस बार काफी गरमागर्म होने वाला है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहली बार अमेरिका चीन रूस इसके जरिए आमने- सामने आने वाले हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 14 Nov 2022 10:57 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। इंडोनेशिया के बाली में अगले दो दिनों तक विश्व की राजनीति तापमान बढ़ा हुआ रहेगा। इसकी वजह है वहां पर होने वाला जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन। इस सम्मेलन की वजह से पहले से ही राजनीतिक पारा बढ़ना शुरू हो गया है। इस सम्मेलन में अमेरिका, चीन, रूस और भारत के अलावा अन्य देश हिस्सा ले रहे हैं। काफी समय बाद ये पहला अवसर है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का इस सम्मेलन में आमना सामना होने वाला है। इतना ही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने रूस भी आने वाला है। हालांकि, इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हो रहे हैं। उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गी लावरोव इस सम्मेलन में शामिल होंगे और उनका प्रतिनिधित्व करेंगे। लेकिन, रूस और चीन की मौजूदगी ही इस सम्मेलन में सबसे बड़ी तल्खी की वजह बन गई है।
राजनीतिक पारा रहेगा हाई
इस सम्मेलन का पारा हाई होने का एक दूसरा कारण इसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का वर्चुअली संबोधन भी है, जिसके रूस सख्त खिलाफ है। आपको बता दें कि जब से यूक्रेन पर रूस ने हमला किया है यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने विभिन्न मंचों पर वर्चुअली शामिल होकर रूस पर तीखा हमला किया है। इस बार भी यही होने वाला है। इस बार के इस सम्मेलन में एक तरफ अमेरिका है तो दूसरी तरफ रूस और चीन है जिनसे अमेरिका का छत्तीस का आंकड़ा है। वहीं ये दोनों देश भी अमेरिका को पसंद नहीं करते हैं और उसके वर्चस्व को खत्म करने की फिराक में हैं।
यूक्रेन युद्ध पर घेरने को तैयार अमेरिका
यूक्रेन युद्ध पर जहां चीन और रूस एकमत हैं वहीं अमेरिका इसका घोर विरोधी है। वहीं भारत की बात करें तो भारत का इसके लिए रुख बेहद स्पष्ट है जिसको वो कई बार अलग-अलग मंचों पर जाहिर कर चुका है। इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति की मुलाकात चीन के राष्ट्रपति से हो जाए ये तो संभव है लेकिन रूस से किसी तरह की बातचीत इस सम्मेलन में नहीं होने वाली है। यहां पर ये इसलिए बेहद दिलचस्प है कि कुछ समय पहले अमेरिका के एक अहम दस्तावेज में चीन को विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए उसको अमेरिका का दुश्मन नंबर वन बताया गया था।
बाइडन-शी के बीच बातचीत
इसके बाद भी बाइडन और शी के बीच बातचीत होने की संभावना काफी प्रबल है। इस सम्मेलन से पहले बाइडन और शी के बीच करीब दो बार फोन पर बातचीत हुई है, जो बेहद तीखी रही थी। रत की बात करें तो वो रूस और अमेरिका दोनों का ही बड़ा सहयोगी है। वहीं चीन और भारत के बीच कई मुद्दों पर तनाव है लेकिन वो ऐसा नहीं है कि बातचीत से मुंह फेर लिया जाए। आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुछ समय पहले बाली में ही जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों का भी सम्मेलन हुआ था जिसमें माहौल काफी गर्म रहा था। जी-20 सम्मेलन में उत्तर कोरिया के मिसाइल टेस्ट को लेकर भी चर्चा होनी है। अमेरिका इसके प्रति अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर कर चुका है। वहीं चीन के उससे पुराने और घनिष्ठ संबंध हैं और रूस ने भी उत्तर कोरिया से अपने संबंधों को मजबूत करने की तरफ कदम बढ़ाया है। इस मुद्दे पर भी तनाव उभरने की पूरी आशंका है।