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MP Wildlife: नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 और चीते, नई खेप को लाने की तैयारी में जुटा मंत्रालय

नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से सालभर के भीतर छह चीतों की मौत से भले ही चीता प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़े हो रहे है लेकिन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को लेकर कतई विचलित नहीं है। इस बीच भारत लाए जाने वाले चीतों के चयन आदि को लेकर जरूरी औपचारिकताओं को लेकर दक्षिण अफ्रीका के साथ चर्चा शुरू हो गई है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 19 Aug 2023 12:06 AM (IST)
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नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 और चीते (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Gandhi Sagar Sanctury, MP Wildlife: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से सालभर के भीतर छह चीतों की मौत से भले ही चीता प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़े हो रहे है, लेकिन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को लेकर कतई विचलित नहीं है। वह अपनी तय कार्ययोजना के तहत चीतों की नई खेप को लाने की तैयारियों में तेजी से जुटा हुआ है। जिसके तहत इस साल के अंत तक यानी नवंबर- दिसंबर तक करीब 10 से 12 चीते लाए जाने हैं।

चीतों के लिए तैयार हो रहा गांधी सागर अभयारण्य

इस बीच भारत लाए जाने वाले चीतों के चयन आदि को लेकर जरूरी औपचारिकताओं को लेकर दक्षिण अफ्रीका के साथ चर्चा शुरू हो गई है। वैसे भी दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए करार के तहत वह अगले दस सालों तक भारत को हर साल करीब 12 चीते देगा। इनमें नर और मादा दोनों ही चीते शामिल होंगे।

चीता प्रोजेक्ट के तहत इस साल के अंततक आने वाले चीतों की इस नई खेप को भी मध्य प्रदेश में ही रखा जाएगा। जिसके लिए मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य को तैयार किया जा रहा है। 

हालांकि, इसके साथ ही राजस्थान के मुकुंदरा और भैंसरोडगढ़ रिजर्व को भी तैयारी रखने के लिए कहा गया है। फिलहाल चीतों के लिए देश में जिन वन्यजीव अभयारण्यों को सबसे उपयुक्त पाया गया था, उनमें मध्य प्रदेश के तीन और राजस्थान के दो अभयारण्य शामिल है।

सभी अभयारण्यों में रखने पड़ेंगे चीते

चीतों के लिए मध्य प्रदेश के तीसरे उपयुक्त अभयारण्य में नौरादेही अभयारण्य है। वैसे भी अगले दस सालों तक हर साल जिस तरह से करीब 12 चीतों को लाने की योजना है, उनमें इन सभी अभयारण्यों में चीतों को रखना पड़ेगा।

नई खेप लाने की तैयारी शुरू

कार्ययोजना के तहत भोजन की उपलब्धता के आधार पर मौजूदा समय में इन सभी अभयारण्यों में 18 से 22 चीते ही रखे जा सकते हैं। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक,

चीता प्रोजेक्ट पर पहले से तय की गई कार्ययोजना के तहत ही आगे बढ़ा जा रहा है। इसके तहत इस साल के अंततक लाए जाने वाले चीतों को नई खेप लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

इस बीच चीतों के रखरखाव व सुरक्षा से जुड़ी गाइडलाइन को अब तक हुई मौतों के आधार पर फिर से तैयार किया जा रहा है। इनमें उन सभी पहलुओं को शामिल किया जा रहा है, जिन चूकों को इन सभी की मौत के पीछे होने की आशंका जताई जा रही है।

प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की मानें तो चीतों की मौत दुखद है, लेकिन कार्ययोजना में पहले से ऐसी मौतों का अनुमान था। हालांकि, यह प्रोजेक्ट 25 साल का है। ऐसे में शुरुआत के 15 साल तक चीतों की मौत को लेकर उतार-चढ़ाव की ऐसी स्थितियां बनी रहेगी।

गौरतलब है कि भारत में जन्में चीता के चार शावकों में से एक मादा शावक का यहां की जलवायु में तेजी से बढ़ने को चीता प्रोजेक्ट की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।