G-20 Meeting: दिल्ली में जी-20 संगठन के विदेश मंत्रियों का जमघट, बैठक में यूक्रेन पर पेंच फंसने के आसार
नई दिल्ली में दुनिया के सबसे शक्तिशाली बीस देशों के संगठन जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की गुरुवार को होने वाली बैठक की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बैठक में हिस्सा लेने के लिए इन देशों के विदेश मंत्री पहुंच चुके हैं।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Thu, 02 Mar 2023 06:00 AM (IST)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली: देश की राजधानी नई दिल्ली में दुनिया के सबसे शक्तिशाली बीस देशों के संगठन जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की गुरुवार को होने वाली बैठक की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बैठक में हिस्सा लेने के लिए इन बीस देशों के विदेश मंत्रियों (कुछ देशों के उप-विदेश मंत्री) के अलावा विशेष तौर पर आमंत्रित नौ देशों के विदेश मंत्री और 13 वैश्विक संगठनों के शीर्ष अधिकारी पहुंच चुके हैं। यह पहला मौका है जब भारत में एक साथ इतने सारे विदेश मंत्री व दूसरे आला अधिकारी पहुंचे हैं। कल की बैठक में यूक्रेन युद्ध विवाद के छाये रहने की संभावना है।
यूक्रेन विवाद पर सामंजस्य बनाने की कोशिश
एक तरफ रूस व चीन तो दूसरी तरफ अमेरिका-कनाडा-फ्रांस-ब्रिटेन-जर्मनी की तैयारियों को देखते हुए भारत की लगातार कोशिश चल रही है कि जिन ऊर्जा व खाद्य संकट और बहुराष्ट्रीय एजेंसियों में सुधार जैसे अहम मुद्दों पर भी बात आगे बढ़े। देर शाम को खबर लिखे जाने तक भारत की तरफ से यूक्रेन विवाद पर आमने-सामने खडे़ दोनो गुटों के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश भारतीय कूटनीति की तरफ से जारी थी। विदेश मंत्रालय एस जयशंकर बुधवार को दिन पर आगंतुक विदेश मंत्रियों के साथ विमर्श करते रहे वहीं भारत के जी-20 में शेरपा अमिताभ कांत भी मंगलवार से ही दूसरे देशों के शेरपाओं के साथ चर्चा कर रहे हैं। बातचीत की जानकारी पीएम नरेन्द्र मोदी को भी दी जा रही है।
संयुक्त बयान को लेकर सहमति पर जोर
भारत की कोशिश है कि विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी करने को लेकर सहमति बने। भारत नहीं चाहता है कि जिस तरह से बंगलुरू में इस संगठन के वित्त मंत्रियों की बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया था वैसी ही स्थिति यहां भी हो। विदेश सचिव विनय क्वात्रा का कहना है कि, "बैठक में यूक्रेन और रूस की मौजूदा स्थिति पर बात होगी और इसका क्या नतीजा होगा अभी इस बारे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। भारत चाहता है कि जो भी प्राथमिकता वाले मुद्दे हैं उन पर बात हो। भारत के लिए यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद जिस तरह से ऊर्जा, खाद्य व उर्वरक संकट की स्थिति बनी है वह काफी महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि ग्लोबल साउथ देशों (विकासशील व विकसित देशों ) के लिए भी बहुत महत्व रखते हैं।''महंगाई की स्थिति पर बात की संभावना
इस बैठक में वर्ष 2023 के दौरान वैश्विक इकोनोमी की विकास दर में संभावित गिरावट और महंगाई की स्थिति पर भी बात होने की संभावना है। इसके बावजूद यूक्रेन-रूस विवाद के ही छाये रहने की संभावना है। क्वात्रा ने बताया कि यूक्रेन-रूस विवाद पर भारत का रूख पुराना है और इसमें कोई बदलाव नहीं है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि यह युग युद्ध का नहीं है और मौजूदा विवाद का हल विमर्श व कूटनीति के जरिए ही होनी चाहिए।
रूस और अमेरिका ने दिखाये तेवर
भारत पहुंचने के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जयशंकर से मुलाकात की और बाद में एक समारोह में जी-20 बैठक में रूस के कड़े रूख का भी संकेत दे दिया। उन्होंने कहा है कि पश्चिमी देश रूस से बदला लेने की नीति पर चल रहे हैं। लावरोव ने तुर्की और ब्राजील के विदेश मंत्रियों से अलग से मुलाकात की। माना जा रहा है कि रूस की तरफ से उन देशों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है जो पूरी तरह से किसी भी खेमे में नहीं है।एक मंच पर होंगे चीन और अमेरिका
उधर, भारत आने से पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने उनकी नई दिल्ली में चीन या रूस के विदेश मंत्रियों से अलग से मुलाकात करने की कोई योजना नहीं है। बतात चलें कि बैलून जासूसी कांड के बाद पहली बार एक मंच पर चीन और अमेरिका के विदेश मंत्री आमने-सामने होंगे। अमेरिका के उपर चीन के जासूसी बैलून पकड़े जाने के मुद्दे पर ब्लिंकन ने अपनी बीजिंग यात्रा भी रद्द कर दी थी।