Gautam Adani Life: कॉलेज ड्रॉपआउट ने कैसे खड़ा किया 'अदाणी साम्राज्य', जानें जिंदगी से जुड़े अनसुने किस्से
Gautam Adani कभी आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोड़ने वाले गौतम अडानी का बिजनस आज के समय एयरपोर्टस से लेकर पोर्टस तक और बंदरगाह से लेकर कोयले की खदान तक फैला हुआ है। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे गौतम अदाणी ने कैसे छुआ सफलता का शिखर।
By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 27 Feb 2023 04:45 PM (IST)
पीयूष कुमार, ऑनलाइन डेस्क। आज के समय शेयर बाजार से लेकर संसद तक एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा में है वो है 'अदाणी'। कभी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नंबर-2 पर रहने वाले गौतम शांतिलाल अदाणी (Gautam Adani) के पास 3,530 करोड़ अमेरिकी डॅालर की संपत्ति होने का अनुमान है। कभी आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोड़ने वाले गौतम अदाणी का बिजनेस आज के समय एयरपोर्टस से लेकर पोर्टस तक और बंदरगाह से लेकर कोयले की खदान तक फैला हुआ है।
पिछले कुछ सालों में गौतम अदाणी ने व्यापार जगत के उन ऊचाईयों को छुआ है, जिसे छू पाना किसी भी उद्योगपति के लिए किसी सपने से कम नहीं है। हालांकि, 24 जनवरी के दिन एक ऐसी घटना घटी, जिसे गौतम अदाणी शायद ही कभी भूल पाएं। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindunburg) में छपी अदाणी ग्रुप को लेकर निगेटिव रिपोर्ट ने भारत के शेयर बाजार में भूचाल ला दिया। रिपोर्ट की कहानी जानने से पहले आइए जानते हैं किस तरह गौतम अदाणी ने सफलता के शानदार शिखर को छुआ है।
जब पढ़ाई से हुआ मोहभंग
अहमदाबाद के जैन परिवार में जन्मे गौतम अदाणी के पिता शांतिलाल एक छोटे टेक्सटाइल व्यापारी थे। उन्होंने अहमदाबाद के शेठ चिमनलाल नागिदास विधायलय से पढ़ाई करने बाद गुजरात विश्विधायल से कॅामर्स में बैचलर डिग्री में दाखिला लिया, लेकिन ग्रेजुएशन के दूसरे साल में ही उनका पढ़ाई से मोहभंग हो गया और उन्होंने पढ़ाई अधूरी छोड़ बिजनेसमैन बनने का निश्चय कर लिया। हालांकि, उन्हें अपने पिता के बिजनेस को बढ़ाने की इच्छा नहीं थी, इसलिए उन्होंने उद्दोग जगत में अपना रास्ता खुद चुना।
एक सफल बिजनेसमैन बनने के सपने संजोए वो साल 1978 में महेंद्र बर्दर्स के लिए डायमंड सॅार्टर का काम करने मुंबई पहुंचे। उस समय उनकी उम्र लगभग 16 या 17 साल रही होगी। यहां पर उन्होंने बिजनेस के गुर सीखे। तीन सालों तक काम करने के बाद उन्होंने डायमंड सॅार्टर की नौकरी छोड़ दी और अपना धंधा शुरू किया। उन्होंने जावेरी बाजार में डायमंड ब्रोकरेज कंपनी की शुरुआत की।
बड़े भाई का हाथ बंटाने पहुंचे अहमदाबाद
कुछ सालों बाद गौतम अदाणी के बड़े भाई मंसूकभाई अदाणी ने अहमदाबाद में सामानों को लपेटने वाली एक कंपनी खरीदी। इस कंपनी के ऑपरेशन को संभालने के लिए गौतम अदाणी को अहमदाबाद बुलाया गया। वो 1981 में मुंबई से वापस अहमदाबाद चले गए।हालांकि, कंपनी को चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि इस कंपनी को चलने के लिए हर महीने 20 टन पॅालीविनाइल क्लोराइड (PVC) की जरूरत थी, लेकिन इतना कच्चा माल कंपनी को मिल पाना काफी मुश्किल हो रहा था। बस इसी चुनौती के गौतम अदाणी ने अवसर में बदलते हुए गुजरात के कंडला पोर्ट से प्लासटिक ग्रेनुअल्स की आयात करने की शुरुआत कर दी। इसके बाद साल 1988 में अदाणी एक्सपोर्ट की शुरुआत हुई, जो बाद में अदाणी इंटरप्राइजेज बना। इस इंटरप्राइजेज के जरिए धातु, ऐग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स और कपड़े की कॅामोडिटी ट्रेनिंग होती थी।यही से अदाणी के सही मायने में उद्योग जगत में सफलता की शुरुआत हुई। 1991 में होने वाले आर्थिक सुधारों की वजह से भी अदाणी का बिजनेस जल्द ही अलग-अलग क्षेत्रों में फैलने लगे। साल 1994 में अदाणी इंटरप्राइजेज को शेयर बाजार में लिस्टेड किया गया।जब अदाणी ने खरीदा गुजरात का सबसे बड़ा पोर्ट
साल 1995 के दौरान गुजरात सरकार पोर्ट के विकास के लिए निजी कंपनियों की तलाश कर रही थी। इसी दौरान अदाणी ने गुजरात के सबसे बड़े बंदरगाह मुंडरा पोर्ट (Mundra Port) को खरीद लिया। बता दें कि इस पोर्ट के जरिए भारत के तकरीबन एक चौथाई माल की आवाजाही होती है। गौरतलब है कि यह जगह स्पेशल इकोनोमिक जोन (Special Economic Zone) के तहत है, जिसकी वजह से प्रोमोटर कंपनी को कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं पड़ती है। बता दें कि गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र पदेश समेत 7 समुद्र राज्यों में अदाणी ग्रुप के 13 घरेलू पोर्टस मौजूद हैं।सरकार से साथ देश में तैयार किया साइलोस
इसके बाद साल 1999 में अदाणी ग्रुप ने एग्रीकल्चर कंपनी विलमर (Wilmar) के साथ खाने के तेल के व्यापार में कदम रखा। बता दें कि अदाणी ग्रुप ने फूड बिजनेस में भी अपना कदम रखा हुआ है। खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तेल से लेकर चावल और चीनी तक अदाणी ग्रुप का बिजनेस फैला हुआ है। 2005 में अदाणी ने खाद्य सामग्री के रखरखाव के लिए फूड कॅापरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर अलग-अलग राज्यों में बड़े-बड़े साइलोस (अनाज भंडार) का निर्माण किया।इसके बाद अदाणी ग्रुप ने साल 2006 में पावर जेनेरेशन बिजनेस में कदम रखा। अदाणी ग्रुप द्वारा कई राज्यों को बिजली प्रदान किए जाने लगे। दरअसल, पावर प्लांट को चलाने के लिए कोयले की जरूरत पड़ती है और कोयला हासिल करने के लिए अदाणी ग्रुप ने ऑस्ट्रेलिया के एक कोल माइन को खरीद लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2020 में भारतीय सौर ऊर्जा निगम (Solar Energy Corporation Of India Limited) की ओर से अदाणी ग्रुप को सबसे बड़े बोली जितने के बाद इनको 6 बिलियन डॅालर का लाभ हुआ था।जब गौतम अदाणी हुए किडनैप
बता दें कि साल 1998 में गौतम अदाणी का अपहरण कर लिया गया था। लंदन के फाइनेंशियल टाइम्स में बातचीत के दौरान उन्होंने बताया था कि कुछ लोगों ने उनका कार रोककर उन्हें किडनैप कर लिया था। उनसे 15 लाख की फैरोती मांगी गई थी। फिरौती की रकम मिलने के बाद ही उनकी रिहाई हुई। वहीं,साल 2008 में मुंबई हमलों के दौरान वो ताज होटल में फंस गए थे। उन्होंने बताया था कि उन्होंने 15 फीट की दूर खड़ी मौत को देखा। उन्होंने 26 नवंबर की पूरी बेसमेंट में गुजारी थी।दिल से दिलदार हैं अदाणी
वैश्विक महामारी कोरोना वायरल से लड़न के लिए गौतम अदाणी भी आगे आए। उन्होंने पीएम केयर फंड (PM Care Fund) में 100 करोड़ रुपये की मदद की थी। इसके अलावा, उन्होंने गुजरात सीएम फंड में 5 करोड़ और महाराष्ट्र रिलीफ फंड में 1 करोड़ रुपये की मदद की थी। गौतम अदाणी ने अपने पिताजी के 100वीं जयंती और अपने 60वें जन्मदिन के अवसर पर 60,000 करोड़ का दान किया था। उन्होंने यह जानकारी एक ट्विट के जरिए साझा की।गौतम अदाणी के निजी जीवन की बात करें तो उनकी पत्नी की नाम प्रीति अदाणी है। उनकी शादी 1998 में हुई। पेशे से डेंटिस्ट रही प्रीति, आज के समय अदाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं। गौतम अदाणी के दो बेटे करण और जीत हैं।