जनरल नरवणे ने बताया अग्निपथ योजना के आगाज का राज, कहा - पीएम मोदी से मुलाकात के समय यह...
पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ( General Naravane ) ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस बारे में सुना तो इसका स्वरूप टूर आफ ड्यूटी के रूप में था। यह मौजूदा समय की सैन्य अफसरों के शार्ट सर्विस कमिशन स्कीम की ही तरह जवानों की भी कम अवधि की भर्ती लगी। कोविड-19 के आने से कुछ महीनों तक इस पर कुछ भी नहीं हुआ।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 18 Dec 2023 09:27 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे का कहना है कि सेना प्रमुख बनने के कुछ हफ्तों बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान उन्हें 2020 की शुरुआत में अग्निपथ योजना का पता चला, लेकिन तब यह योजना 'टूर ऑफ ड्यूटी' के रूप में ही सामने रखी गई।
इसके जरिये सैनिकों को कम अवधि के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाना था। लेकिन कुछ महीने बाद पीएमओ ने इसी व्यापक बनाते हुए इसे तीनों सेनाओं के लिए लागू कर दिया।जनरल नरवणे ने अपनी पुस्तक 'फोर स्टार्स आफ डेस्टिनी' अग्निपथ भर्ती योजना के जन्म का विवरण देते हुए माना कि यह देश की सबसे तार्किक सैन्य भर्ती नीति है।
'टूर आफ ड्यूटी'
31 दिसंबर, 2019 से 30 अप्रैल, 2022 तक 28वें सेना प्रमुख रहे नरवणे ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस बारे में सुना तो इसका स्वरूप 'टूर आफ ड्यूटी' के रूप में था। यह मौजूदा समय की सैन्य अफसरों के शार्ट सर्विस कमिशन स्कीम की ही तरह जवानों की भी कम अवधि की भर्ती लगी। कोविड-19 के आने से कुछ महीनों तक इस पर कुछ भी नहीं हुआ। लेकिन पूर्वी लद्दाख के गलवान में चीनी सेना से हुए भीषण संघर्ष के बाद सबका ध्यान इस भर्ती योजना की ओर था।हालांकि, इस योजना पर प्रधानमंत्री कार्यालय विचार कर रहा था, लेकिन व्यापक स्कोप और क्षमताओं के साथ इसे अंतिम रूप दिया गया। पीएमओ ने इसे नासिर्फ शार्ट सर्विसेज पर आधारित किया बल्कि इसे तीनों सेनाओं के लिए अनिवार्य किया गया।उन्होंने बताया कि कई भर्ती माडल सामने रखे गए लेकिन अंतत: सेना को लगा कि भर्ती किए गए 75 प्रतिशत सैनिकों को सेना में आत्मसात कर लिया जाएगा लेकिन 25 प्रतिशत को सेवामुक्त कर दिया जाना चाहिए।