पांच गुना तेज होगी जीनोम एडिटिंग, कैंसर व एचआइवी के उपचार में मिलेगी मदद
आइसर भोपाल के बायोलाजिकल साइंस विभाग के विज्ञानी डा. अजित चांदे ने बताया कि यह शोध अनुवांशिक बीमारियों को क्रिस्पर कैश-9 तकनीक के माध्यम से जीन एडिटिंग कर रोकने में कारगर सिद्ध होगा। इससे कई आसाध्य बीमारियों पर भी काबू पाने की संभावना है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 31 Aug 2022 05:11 PM (IST)
अंजली राय, भोपाल: विश्व में करीब एक दशक से जीनोम एडिटिंग से असाध्य बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए प्रयोग जारी हैं। इसी क्रम में भोपाल के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) ने जीनोम एडिटिंग तकनीक में जटिल रासायनिक कंपाउंड रेप्साक्स का नए तरीके से उपयोग कर इस प्रक्रिया को पांच गुना तेज करने का रास्ता खोजा है। इससे जीन एडिटिंग का दायरा बढ़ेगा और कैंसर व एचआइवी जैसे रोगों का उपचार आसान होगा।
मिले चौंकाने वाले नतीजे
आइसर के बायोलाजिकल साइंस विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. अजित चांदे के नेतृत्व में सात विज्ञानियों की टीम ने नए तरीके से रेप्साक्स का उपयोग किया तो नतीजे चौंकाने वाले आए। इस कंपाउंड की गतिविधियां आश्चर्यजनक तरीके से पांच गुना बढ़ गईं। हाल ही में इस शोध को मालिक्यूलर थेरेपी न्यूक्लिक एसिड जर्नल में प्रकाशित किया गया है। माना जा रहा है कि यह चिकित्सा जगत में मील का पत्थर साबित होगा। सिकेल सेल जैसी असाध्य बीमारी का इलाज भी इससे आसान हो सकेगा।
प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता बढ़ाने में कारगर
विज्ञानियों का मानना है कि इस तकनीक से न सिर्फ जीन में बदलाव कर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, बल्कि शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा रहने वाली टी-कोशिकाओं की क्षमता को बढ़ाकर प्रतिरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने का काम भी किया जा सकता है। सरल शब्दों में समझें तो प्रतिरक्षा प्रणाली इस हद तक मजबूत हो जाएगी कि वह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को पहचान कर खुद उसकी कोशिकाओं को नष्ट कर देगी।
वंशानुगत संक्रमण रुक सकेंगे
विज्ञानियों के अनुसार इस तकनीक से अनुवांशिक बीमारियों की रोकथाम में भी मदद मिलेगी। जीन एडिटिंग की मदद से गर्भ में ही बच्चे के जीनोम में बदलाव किया जा सकता है, जो वंशानुगत संक्रमण रोकने में कारगर सिद्ध हो सकता है।