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राजनीति के मैदान पर नहीं चला ग्लैमर का रंग, सुनहरे पर्दे पर चमकने वाले सितारे सत्ता की गलियों में पड़े फीके

कला और भारतीय राजनीति एक साथ कुछ खास जमती नहीं है। ऐसा में यूं ही नहीं बोल रही हूं। भारतीय राजनीति ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है।चाहे वो बॉलीवुड से हो या फिर दक्षिण भारत की फिल्मों से हों। इस लेख के माध्यम से हम ऐसे ही कुछ स्टार्स के बारे में आज आपको बताएंगे जो फिल्मों के बादशाह रहे लेकिन सत्ता की गलियों में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए।

By Babli Kumari Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 04 Mar 2024 07:08 PM (IST)
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भारत के वो अभिनेता जो राजनेता के रूप में रहे असफल (जागरण ग्राफिक्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमा और सत्ता का साथ काफी पुराना रहा है। कभी सत्ता को सिनेमा के साथ की जरूरत पड़ती है तो कभी सिनेमा के सितारों को सत्ता की जरूरत। बड़े परदे के सितारों का राजनीति की तरफ झुकाव बहुत पहले से देखा जाता रहा है।हम सब ने हमेशा देखा है कि जब भी चुनाव होने वाले होते हैं भीड़ जुटाने के लिए राजनेताओं को अभिनेताओं की जरूरत पड़ती ही है। 

वहीं ऐसा भी माना जाता है कि कई पार्टियां स्टार्स की पॉपुलैरिटी को अपने राजनीतिक लाभ के कारण टिकट देती है। वहीं दुर्भाग्यपूर्ण यह है जो सितारे दूसरों के लिए भीड़ जुटाने में कामयाब होते हैं वहीं खुद की जगह राजनीति में बनाने में हमेशा असफल रहे हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे की सिल्वर स्क्रीन के ये दिग्गज सितारे किस तरह राजनीति में अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हो पाए। आइए डालते हैं एक नजर...

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) 

80 के दशक और बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन भी एक समय राजनीति में आने की रुचि दिखाई थी। अमिताभ बच्चन के परिवार के बारे में कहा कहा जाता था कि उनके संबंध गांधी परिवार से काफी अच्छे थे। इस वजह से उन्होंने इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की ठानी और भाग्यवश वो वहां से जीते भी। हालांकि, कुछ समय बाद ही अमिताभ को समझ आ गया कि राजनीति उनके काम की चीज नहीं है जिसके बाद उन्होंने हमेशा के लिए सत्ता की गलियों से किनारा कर लिया।

उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar)

1980 और 1990 के दशक की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक, उर्मिला मातोंडकर ने भी राजनीति का स्वाद चखा। उर्मिला मातोंडकर ने मार्च 2019 में कांग्रेस ज्वाइन की थी और लोकसभा का चुनाव लड़ा था। चुनाव हारने के बाद उर्मिला ने 2020 में शिवसेना ज्वाइन कर ली थी। उर्मिला को भी जो पहचान सिनेमा से मिली वो उनको राजनीति से नहीं मिल पाई। राजनीतिक गलियारों में वो भी बस गुमनाम बनकर रह गईं।

गोविंदा (Govinda) 

गोविंदा 1990 के दशक के दिग्गज अभिनेताओं में से एक नाम रहे और 2004 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश करके अपनी सेलिब्रिटी स्टेटस को अगले स्तर पर ले जाने का फैसला किया। साल 2004 में अपनी पॉलिटिकल पारी शुरू करने का फैसला किया। सीनेमा के राजा बाबू रहे गोविंदा को जल्द ही समझ आ गया कि राजनीति के दांव पेंच को समझना उनके बस की बात नहीं है।

रेखा (Rekha) 

बड़े परदे की सबसे उलझी हुई अदाकारा जिसके बारे में लोग बहुत कुछ जानना चाहते हैं। रेखा की राजनीति की कहानी भी उनके निजी जिंदगी की तरह ही रही। राजनीतिक गलियारों में यह हमेशा पहेली बना रहा कि रेखा को सत्ता की गलियों में आने की प्रेरणा किससे मिली। वेटरन एक्ट्रेस रेखा साल 2012 से राज्यसभा सांसद हैं। हालांकि, रेखा बहुत कम ही संसद में दिखीं। जिसको देखकर कहा जा सकता है की उनकी राजनीति में दिलचस्पी कुछ खास नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि इस खूबसूरत अदाकारा की अदा राजनीति में नहीं चल पाई।

धर्मेन्द्र (Dharmendra)

धर्मेन्द्र यानि बॉलीवुड के 'गरम धरम'। 'गरम धरम' के नाम से मशहूर धर्मेन्द्र सबसे हैंडसम अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। अब भी धर्मेन्द्र का जलवा कम नहीं हुआ है। कई दशकों तक धर्मेन्द्र ने बॉलीवुड पर राज किया है। लेकिन अगर बात करे धर्मेन्द्र की राजनीतिक सफर के बारे में तो वह खुद ऐसा कई इंटरव्यू में बता चुके हैं कि उनका राजनीति का सफर बेहद कड़वा रहा है। धर्मेन्द्र को बीजेपी से साल 2004 में टिकट मिला और यह टिकट था बीकानेर का। धर्मेन्द्र का पॉलिटिकाल सफर कूच खास नहीं रहा कूच सालों बाद उन्होंने राजनीति का साथ छोड़ दिया।

शेखर सुमन (Shekhar Suman)

मशहूर टेलीविजन अभिनेता-एंकर शेखर सुमन का जादू राजनीति में नहीं चल पाया। शेखर सुमन ने मई 2009 में कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से लोकसभा चुनाव लड़ा और भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा से हार गए। दूसरे अभिनेताओं की तरह ही शेखर सुमन भी एक्टिंग में सफलता पाने के बाद राजनीति की क्षेत्र में किस्मत आजमाया लेकिन उन्हें भी पॉलिटिक्स ज्यादा समय तक रोक नहीं पाई।

चिरंजीवी (Chiranjeevi)

साउथ फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता चिरंजीवी ने भी अपना भाग्य राजनीति में अपनाया। चिरंजीवी ने साल 2008 में प्रजा राज्यम पार्टी के नाम से एक राजनीतिक पार्टी शुरू की। साल 2009 के आम चुनावों में उनकी पार्टी ने 18 सीटें भी जीतीं। तबसे इनकी पार्टी राज्य में एक छोटी पार्टी के रूप में काम कर रही है। लेकिन साउथ फिल्म इंडस्ट्री में जैसा रुतबा चिरंजीवी का रहा है वैसा कुछ राजनीतिक गलियारों में देखने को नहीं मिला।