लोकसभा चुनाव में भ्रामक सूचनाओं की समस्या से निपटने के लिए GNI के सहयोग से प्रोजेक्ट 'शक्ति' हुआ लॉन्च
Google News Initiative ने आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी संबंधी भ्रामक सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए शुक्रवार को शक्ति लॉन्च कर दिया। गूगल की इस पहल से फैक्ट चेकर्स और न्यूज पब्लिशर्स को फेक न्यूज भ्रामक जानकारियों के खिलाफ एक संयुक्त युद्ध लड़ने में सहयोग मिलेगा। इसमें विश्वास न्यूज द क्विंट बूम फैक्टली और न्यूजचेकर जैसे प्रमुख फैक्ट चेंकिंग यूनिट्स शामिल हैं।
'शक्ति' का उद्देश्य
- चुनावी भ्रामक सूचनाओं की पहचान करना और उन्हें रोकना
- वोटर्स को विश्वसनीय और सटीक जानकारी प्रदान करना
ऐसे समय में जहां डिजिटल इन्फॉर्मेशन का प्रसार अविश्वसनीय गति से हो रहा है, तो विश्वसनीय और भरोसेमंद जानकारी के साथ लोगों को सशक्त बनाने की आवश्यकता बेहद अहम हो गई है। एमसीए के साथ गूगल न्यूज इनीशिएटिव और डेटा लीड्स की यह रणनीतिक साझेदारी अलग-अलग पाठक समूहों को जमीनी स्तर पर विश्वसनीय और फैक्ट चेक की गई सूचना के साथ उनकी मदद करेगा, ताकि वे चुनावों के दौरान और उसके बाद सूचित विकल्पों का चयन कर सकें। एमसीए के फैक्ट चेकिंग सदस्यों का लक्ष्य लोकतंत्र के लिए उभरते खतरों के खिलाफ सशक्त पत्रकारिता और जरूरी तकनीक का संयुक्त तौर पर इस्तेमाल करते हुए दुष्प्रचार करने वाली ताकतों को कमजोर करना है।
द क्विंट की को-फाउंडर और एमडी रितु कपूर ने कहा,हमें शक्ति का नेतृत्व करने के लिए भारत के अग्रणी फैक्ट चेकर्स और न्यूज पब्लिशर्स के साथ काम करने को लेकर खुशी है, विशेषकर ऐसे समय में जब फेक न्यूज को फैलाने के लिए डीपफेक का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। चुनाव करीब है और इस जटिल परिदृश्य के बीच हमारा उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत फैक्ट चेक इकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में एक अहम हस्तक्षेप है। हम इस पहल के लिए गूगल न्यूज इनीशिएटिव के साथ साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं।
उन्होंने आगे पाठकों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए गूगल न्यूज इनिशिएटिव की इस पहल को सहयोग की दिशा में एक अहम कदम करार दिया।भ्रामक सूचनाएं और दुष्प्रचार डरावनी रफ्तार से फैल रहा है। इन्हें टेक्नोलॉजी का सहारा मिलता है और जिन लोगों को इससे फायदा होता है, वे इन्हें वित्त पोषित करते हैं। इससे निपटने का एकमात्र तरीका है कि फैक्ट चेकर्स और न्यूज पब्लिशर्स एकजुट होकर काम करें। न केवल वायरल हो चुकी सूचनाओं का फैक्ट चेक काफी नहीं है, उन्हीं डिजिटल माध्यमों पर पहले से ही सटीक जानकारी और मीडिया साक्षरता का प्रसार करना भी जरूरी है जिनका इस्तेमाल फर्जी जानकारी फैलाने के लिए किया जाता है।