Goa Maritime Conclave: चीन को रक्षा मंत्री राजनाथ की दो टूक, बोले- समुद्र में 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' का रुख नहीं चलेगा
चीन पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि समुद्री व्यवस्था में जिसकी लाठी उसकी भैंस के रुख के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि मिलजुलकर सहयोग करने को बढ़ावा देना बेहद अहम है और इसके उचित नियम हैं। इस व्यवस्था में कोई भी देश किसी अन्य देश या देशों पर प्रभुत्व जमाने की कोशिश नहीं करता।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 30 Oct 2023 11:38 PM (IST)
जागरण न्यूज नेटवर्क, पणजी। चीन पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि समुद्री व्यवस्था में 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' के रुख के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि मिलजुलकर सहयोग करने को बढ़ावा देना बेहद अहम है और इसके उचित नियम हैं। इस व्यवस्था में कोई भी देश किसी अन्य देश या देशों पर प्रभुत्व जमाने की कोशिश नहीं करता।
रक्षा मंत्री ने गोवा मेरीटाइम कॉनक्लेव में सोमवार (30 अक्टूबर) को दिए संबोधन से भारत-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक तरीके से शक्तिबल के जरिये विस्तार की चीनी नीति पर कटाक्ष किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गोवा मेरीटाइम कानक्लेव में 12 देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष कहा कि हम सभी के लिए एक मुक्त, स्वतंत्र और नियम आधारित सामुद्रिक व्यवस्था वरीयता पर है। एक ऐसी समुद्री व्यवस्था में 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' और बेजा शक्ति प्रदर्शन के लिए कोई जगह नहीं है।
'समुद्री व्यवस्था के पालन के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों से जुड़े रहना जरूरी'
उन्होंने कहा, हमारे संकीर्ण और तात्कालिक हित कई बार पूर्णरूपेण स्थापित अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने के लिए उकसाते हैं, लेकिन ऐसा करने से हमारी सभ्य समुद्री व्यवस्था बिगड़ जाती है। हमारी साझा सुरक्षा और समृद्धि को तब तक संरक्षित नहीं किया जा सकता जब तक कि हम सब मिलकर पूरी प्रतिबद्धता से सहयोग नहीं करें और सभी नियमों का पालन करते हुए वैधानिक समुद्री व्यवस्था से जुड़े रहें। मुक्त और नियम आधारित समुद्री व्यवस्था के पालन के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों से जुड़े रहना जरूरी है।Delivered the keynote address at the fourth edition of Goa Maritime Conclave (GMC) today.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 30, 2023
There is need for establishing multinational collaborative mitigation frameworks in the Indian Ocean Region to effectively tackle common maritime challenges such as climate change, piracy,… pic.twitter.com/GIxN0HGB7w
बातचीत के जरिये आपसी विश्वास कायम करना चाहिए- राजनाथ
राजनाथ सिंह ने कहा कि देशों को समुद्री मोर्चों पर बातचीत के जरिये आपसी विश्वास कायम करना चाहिए। साझा समुद्री सीमा वाले देशों को पर्यावरण परिवर्तन, समुद्री लुटेरों पर नियंत्रण, आतंकवाद और नशीली दवाओं की तस्करी के मुद्दों को वरीयता पर लेना चाहिए। उन्होंने संस्कृत के श्लोक 'संघे शक्ति कलियुगे' का उल्लेख करते हुए कहा कि मौजूदा समय में सहयोग और समूह में काम करने में ही शक्ति निहित है।
इन देशों ने लिया सम्मेलन में भाग
रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी यह सहयोग हासिल किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय सम्मेलन रविवार को शुरू हुआ था और इसका समापन 31 अक्टूबर को होगा। इसमें कोमोरोस, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाइलैंड के नौसेना प्रमुखों और अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया।दक्षिणी चीन सागर में हर तरफ अपनी संप्रभुता का दावा करने वाले चीन को वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई जैसे देशों से कड़े प्रतिरोध का सामना भी करना पड़ा है।
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