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अब कानून 'अंधा' नहीं... न्याय की देवी की आंखों से हटी पट्टी, हाथ में तलवार की जगह संविधान; तिलक मार्ग पर लगी जस्टिस क्लॉक

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को न्याय की देवी की नई प्रतिमा लगाई गई। न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से पट्टी हटा दी गई है और उसके एक हाथ में तलवार की जगह संविधान ने ले ली है। ताकि यह संदेश दिया जा सके कि देश में कानून अंधा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में जजों के पुस्तकालय में ये मूर्ति लगाई गई है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 16 Oct 2024 10:24 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट में जजों के पुस्तकालय में लगाई गई न्याय की देवी की नई प्रतिमा।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट और न्याय व्यवस्था पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ा रही है। लगातार यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि न्याय सभी के लिए है न्याय के समक्ष सब बराबर हैं और कानून अब अंधा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में बदलाव हुआ है न्याय की देवी की आंखों की पट्टी हट गई है और इसके अलावा उसके हाथ से तलवार भी हटा दी गई है।

मुकदमों की रियल टाइम जानकारी

अब न्याय की देवी के एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में पुस्तक है जो संविधान जैसी दिखती है। इसके अलावा एक और बड़ा बदलाव हुआ है दशहरे की छुट्टियों में सुप्रीम कोर्ट के सामने तिलक मार्ग पर एक बड़ी वीडियो वॉल लग गई है जिसमें हर समय सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस क्लॉक चलती है जिससे सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की रियल टाइम जानकारी जानी जा सकती है।

Supreme Court of India (Justice Clock)

लाइब्रेरी में लगी न्याय की देवी की प्रतिमा

खुली आंखों से समानता के साथ न्याय करने का संदेश देने वॉला यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट की जजेस लाइब्रेरी में लगी न्याय की देवी की प्रतिमा में हुआ है। जजेस लाइब्रेरी में न्याय की देवी की एक बड़ी सी नई प्रतिमा लगी है जिसकी आंखों से पट्टी हटा दी गई है। इसके अलावा नई प्रतिमा के हाथ में तलवार भी नहीं है।

संतुलित न्याय का संदेश

नई मूर्ति के एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार की जगह एक पुस्तक है जो कानून की किताब या संविधान जैसी दिखती है हालांकि उस पर संविधान नहीं लिखा है। नई प्रतिमा से बराबरी के व्यवहार से संतुलित न्याय का संदेश बुलंद होता है। यह संदेश जाता है कि कानून अंधा नहीं है।

कानून प्रतिष्ठा को नहीं देखता

वैसे बताते चलें कि न्याय की देवी की यह मूर्ति पिछले वर्ष जजेस लाइब्रेरी में हुए रिनोवेशन के दौरान लगाई गई थी। न्याय की देवी की जो पुरानी मूर्ति थी उसकी आंखों पर पट्टी बंधी थी। उस मूर्ति के एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार थी। जिससे यह संदेश जाता था कि कानून किसी की दौलत पद प्रतिष्ठा को नहीं देखता। लेकिन नई मूर्ति की आंखों से पट्टी हट गई है।

कानून अंधा नहीं होता

सूत्र बताते हैं कि प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के कहने पर नई मूर्ति लगी है। उसकी आंखों में पट्टी नहीं है। प्रधान न्यायाधीश मानते हैं कि कानून अंधा नहीं है बल्कि कानून सभी को समान मानता है। न्याय की देवी के हाथ से तलवार हटाने का भी संकेत शायद औपनिवेशिक काल की चीजों को छोड़ना है।

तिलक मार्ग पर लगी जस्टिस क्लॉक

सुप्रीम कोर्ट के कामकाज का रोजाना का हिसाब प्रतिपल जनता के सामने पेश करती है। वैसे जस्टिस क्लॉक को वेबसाइट पर देखा जा सकता था लेकिन आम जनता को सीधे जानकारी पहंचाने और व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए जस्टिस क्लॉक का वीडियो वॉल लगाया गया है।

ऐसी ही जस्टिस क्लॉक सुप्रीम कोर्ट के दूसरी ओर मथुरा रोड पर भी लगाए जाने का प्रस्ताव है और हो सकता है कि दीपावली की छुट्टियों में वहां भी एक सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस क्लॉक लग जाए। जस्टिस क्लॉक में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हुए, निपटाए गए और लंबित मुकदमों का वर्षवार, तारीखवार, ब्योरा देखा जा सकता है।

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