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'मैं सभ्य आदमी हूं, वैसा ही व्यवहार करूंगा' पाकिस्तान की यात्रा से पहले जयशंकर ने बता दिए अपने इरादे

विदेश मंत्री जयशंकर 15-16 अक्तूबर को पाकिस्तान की यात्रा करने वाले हैं। जयशंकर वहां होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे। जयशंकर ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ एक बेहतर संबंध रखना चाहता है लेकिन यह काम सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मैं भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा।

By Jagran News Edited By: Manish Negi Updated: Sat, 05 Oct 2024 08:34 PM (IST)
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एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे जयशंकर (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री के तकरीबन नौ वर्षों बाद पाकिस्तान जाने की सूचना पर सीमा के दोनों तरफ राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हैं, लेकिन इसका असर भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़ने की संभावना कम है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वयं शनिवार को स्पष्ट किया कि वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद जा रहे हैं, भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं।

पीएम मोदी को दिया गया था निमंत्रण

एक दिन पहले ही विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि जयशंकर 15-16 को एससीओ के सदस्यों देशों के सरकारों के प्रमुखों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान जाएंगे। एससीआइ की अध्यक्षता इस वर्ष पाकिस्तान कर रहा है। पाकिस्तान ने अगस्त, 2024 में अन्य सभी 10 देशों के साथ भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी को भी बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था। भारत सरकार ने पीएम की जगह विदेश मंत्री को वहां भेजने का फैसला किया है। दोनों देशों के रिश्तों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए जयशंकर की इस यात्रा को लेकर काफी ज्यादा उत्सुकता है। दिसंबर, 2015 के बाद पहली बार कोई भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान जा रहा है।

भारत पाकिस्तान के साथ एक बेहतर संबंध रखना चाहता है, लेकिन यह काम सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके नहीं किया जा सकता।

भारत-पाक के रिश्तों पर चर्चा करने नहीं जा रहा

जयशंकर से शनिवार को एक सेमिनार के दौरान जब आगामी पाकिस्तान यात्रा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस माह के मध्य में पाकिस्तान जा रहा हूं। यह यात्रा एससीओ के संदर्भ में होगी। भारत व पाकिस्तान के रिश्तों की स्थिति को देखते हुए मीडिया की इसमें बहुत ज्यादा रुचि होगी और हमें लगता है कि हम इसका सामना करेंगे, लेकिन मैं यह बताना चाहूंगा कि वहां बहुदेशीय संगठन की बैठक है। मैं भारत व पाकिस्तान के रिश्तों पर चर्चा करने वहां नहीं जा रहा। मैं एससीओ के एक अच्छे सदस्य के तौर पर वहां जा रहा हूं। मैं एक सभ्य व भद्र इंसान हूं और इसी के हिसाब से व्यवहार भी करूंगा।

जयशंकर से पूछा गया कि वह इस यात्रा के लिए क्या प्लान कर रहे हैं तो उनका जवाब था कि, निश्चित तौर पर मैं इस यात्रा की तैयारी कर रहा हूं, यही मेरा काम है। वहां जो भी करुंगा उसकी योजना बना रहा हूं, लेकिन कई बार आप क्या नहीं करेंगे लेकिन जो वहां हो सकता है, इसकी भी प्लानिंग करनी होती है।

आतंकवाद को नजरअंदाज कर बातचीत नहीं

पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में जयशंकर ने कहा कि निश्चित तौर पर हम अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन यह सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके नहीं हो सकता। जयशंकर ने पाक समर्थित आतंकवाद को दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन सार्क की प्रगति की राह में सबसे बड़ी बाधा के तौर पर भी चिन्हित किया।

आतंकवाद स्वीकार्य नहीं

जयशंकर ने कहा कि सार्क अभी आगे नहीं बढ़ रहा। इसकी बैठक सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रही कि इसका एक सदस्य देश कम से कम एक और दूसरे सदस्य देश के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है। हम आतंकवाद को किसी देश की राष्ट्र नीति के तौर पर स्वीकार नहीं कर सकते। इन मुद्दों को ध्यान में रख कर हमने यह फैसला किया था (सार्क बैठक में शामिल नहीं होने का)। आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है।

सनद रहे कि सार्क की शिखर बैठक वर्ष 2016 में पाकिस्तान में ही होनी थी, लेकिन पठानकोट पर पाकिस्तान पोषित आतंकवाद के बाद भारत व अन्य सदस्य देशों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था।