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आधुनिक भारत के निर्माता राजा राम मोहन को गूगल ने किया याद, जानिए कैसे बने वे समाज सुधारक

राजा राम मोहन राय ने हिंदू धर्म की रूढ़िवादिता को खत्म करने के लिए आंदोलन चलाया था। इस दौरान उन्होंने सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया।

By Srishti VermaEdited By: Updated: Tue, 22 May 2018 12:44 PM (IST)
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आधुनिक भारत के निर्माता राजा राम मोहन को गूगल ने किया याद, जानिए कैसे बने वे समाज सुधारक

नई दिल्ली (जेएनएन)। आज से 200 साल पहले आधुनिक भारत की नींव रखने वाले समाज सुधारक राजा राम मोहन राय की अाज 246वीं जयंती है। भारतीय समाज में महान योगदान देने के लिए आधुनिक भारत के निर्माता और भारतीय पुनर्जागरण के पिता कहलाने वाले राजा राम मोहन राय को आज गूगल भी याद कर रहा है। अपने डूडल के आधार पर गूगल ने राजा राम मोहन के समाज में योगदानों को याद किया है।

राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के राधानगर गांव में हुआ था। एकेश्वरवाद के एक सशक्त समर्थक, राज राम मोहन रॉय ने रूढ़िवादी हिंदू अनुष्ठानों और मूर्ति पूजा को बचपन से ही त्याग दिया था। जबकि उनके पिता रामकंटो रॉय एक कट्टर हिंदू ब्राह्मण थे।

छोटी उम्र में ही राजा राम मोहन का अपने पिता से धर्म के नाम पर मतभेद होने लगा। ऐसे में कम उम्र में ही वे घर त्याग कर हिमालय और तिब्बत की यात्रा पर चले गए। जब वे वापस लौटे तो उनके माता-पिता ने उनमें बदलाव लाने के लिए उनका विवाह करा दिया। फिर भी राजा राम मोहन रॉय ने धर्म के नाम पर पाखंड को उजागर करने के लिए हिंदू धर्म की गहराईयों का अध्ययन करना जारी रखा।

उन्होंने उपनिषद और वेद को गहराई से पढ़ा। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली पुस्तक ‘तुहपत अल-मुवाहिद्दीन’ लिखा जिसमें उन्होंने धर्म की वकालत की और उसके रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का विरोध किया।

वर्तमान समय में भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा नहीं मिल पाया है और आज भी वे इसके लिए लगातार संघर्ष कर रही है। लेकिन लगभग 200 साल पहले, जब "सती प्रथा" जैसी बुराइयों ने समाज को जकड़ रखा था, राजा राम मोहन रॉय जैसे सामाजिक सुधारकों ने समाज में बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने "सती प्रथा" का विरोध किया, जिसमें एक विधवा को अपने पति की चिता के साथ जल जाने के लिए मजबूर करता था। उन्होंने महिलाओं के लिए पुरूषों के समान अधिकारों के लिए प्रचार किया। जिसमें उन्होंने पुनर्विवाह का अधिकार और संपत्ति रखने का अधिकार की भी वकालत की।

1828 में, राजा राम मोहन रॉय ने "ब्रह्म समाज" की स्थापना की, जिसे भारतीय सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों में से एक माना जाता है। राजा राम मोहन रॉय को समर्पित आज का डूडल टोरंटो के एक डिजाइनर बीना मिस्त्री द्वारा बनाया गया है।