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Bhupen Hazarika 96th birth anniversary: डूडल के जरिए Google ने भारतीय संगीतकार भूपेन हजारिका को दी श्रद्धांजलि

गूगल डूडल में डॉ भूपेन हजारिका को हारमोनियम बजाते देखा जा सकता है। डूडल को मुंबई की गेस्ट आर्टिस्ट रुतुजा माली ने बनाया है। भूपेन हजारिका बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने गाने और संगीत से हिंदी सिनेमा और संगीत में अमिट छाप छोड़ी।

By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 06:37 AM (IST)
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गूगल ने डूडल के जरिए भूपेन हजारिका को दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर गायक और फिल्मकार भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के सादिया में हुआ था। आज उनकी 96वीं जयंती मनाई जा रही है। हजारिका एक प्रख्यात असमी-भारतीय गायक थे, उन्होंने सैकड़ों फिल्मों में संगीत दिया है। Google ने हजारिका की जयंती के मौके पर एक खास डूडल के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

96वीं जयंती पर गूगल की श्रद्धांजलि

आज के गूगल डूडल में डॉ भूपेन हजारिका हारमोनियम बजाते देखा जा सकता है। डूडल को मुंबई की गेस्ट आर्टिस्ट रुतुजा माली ने बनाया है। भूपेन हजारिका बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने गाने और संगीत से हिंदी सिनेमा और संगीत में अमिट छाप छोड़ी। भूपेन हजारिका ने ऐसे कई गानें गाए हैं जो आज भी लाखों लोगों की पसंद हैं।

हजारिका के संगीत ने लोगों को किया एकजुट

हजारिका पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक सुधारकों में से एक थे। उनके संगीत ने सभी क्षेत्रों के लोगों को एकजुट किया। उनके पिता मूल रूप से शिवसागर जिले के नजीरा कस्बे के रहने वाले थे। उनका गृह राज्य, असम, एक ऐसा क्षेत्र है जो हमेशा विभिन्न जनजातियों और कई स्वदेशी समूहों का घर रहा है। भूपेन हजारिका ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुवाहाटी से की थी। इसके बाद उन्होंने बीएचयू से राजनीति शास्त्र की पढ़ाई की। कॉलेज से समय संगीत के प्रति उनकी रूचि और बढ़ी। भूपेन को बनारस में शास्त्रीय संगीत की संगत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, कंठे महराज और अनोखेलाल से मिली। इसके बाद भूपेन हजारिका ने इस गायन विधा का उपयोग अपने असमिया गानों में किया।

मरणोपरांत मिला भारत रत्न सम्मान

भूपेन हजारिका को संगीत और संस्कृति में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। साल 2019 में, उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।