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Gopal Krishna Gokhale: नरमदल के प्रभावशाली नेता थे गोपाल कृष्ण गोखले, युवाओं में जगाई थी देशभक्ति की अलख

Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary महाराष्ट्र के रत्नागिरि में नौ मई1866 को जन्में गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के नरमदल के सर्वाधिक प्रभावशाली नेता थे। गोखले ने युवाओं के भीतर देशभक्ति की भावना को जगाई थी।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Mon, 08 May 2023 08:31 PM (IST)
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Indian Social Reformer Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। महान समाज सुधारक, शिक्षाविद, नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा के विस्तार और तीन दशकों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सात दशकों से हम हिंदुस्तान में आजादी की सांस ले रहे हैं और इसके लिए न जाने कितने ही नायकों ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। इन्हीं नायकों में से एक गोपाल कृष्ण गोखले को खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपना राजनीतिक गुरू मानते थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में इसका उल्लेख भी किया है।

रत्नागिरी में जन्में थे गोखले

गोखले का जन्म 9 मई, 1866 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और माता का नाम वलूबाई गोखले था। एक साधारण से परिवार में जन्में गोपाल कृष्ण मेधावी छात्र थे। पिता कृष्णा राव पेशे से क्लर्क थे, लेकिन उनका असामयिक निधन हो गया था। गोखले को पराधीनता का भाव बहुत ज्यादा सताता था, लेकिन उनके भीतर हमेशा ही राष्ट्रभक्ति की धारा प्रवाहित होती थी। 

गोखले ने 1881 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद 1882 में कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज में दाखिला लिया था। हालांकि, कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए एलफिंस्टन कॉलेज जाना पड़ा था। पढ़ाई के प्रति जुनूनी रवैया रखने की वजह से उन्हें हर महीने छात्रवृत्ति मिलती थी।

गोखले ने डिग्री हासिल करने के बाद इंजीनियरिंग करने का फैसला किया, लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगने की वजह से उन्होंने इसे छोड़कर कानून की पढ़ाई करने का मन बनाया था

जब कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोखले

गोखले 1889 में अपने गुरू समाज सुधारक एम जी रानाडे से प्रभावित होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे और वो हमेशा ही 'नरम दल' के नेता के तौर पर काम करते रहे। साल 1893 में गोखले बंबई प्रांतीय सम्मेलन के सचिव बने और फिर साल 1895 में उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया था।

साल 1905 में हुए बनारस अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इसी अधिवेशन में काशी हिंदु विश्वविद्यालय (BHU) की नींव पड़ी थी। बता दें कि नरम और गरम दल के बीच मतभेदों के बाद 1907 में पार्टी दो टुकड़ो में बंट गई। वैचारिक मतभेद होने के बावजूद उन्होंने 'गरम दल' के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया था।

क्रांतिकारी परिवर्तन

  • गोखले ने साल 1905 में भारतीय शिक्षा के विस्तार के लिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की। दरअसल, वह चाहते थे कि भारतीय ऐसी शिक्षा ग्रहण करें जो उनके भीतर नागरिक कर्तव्य और देशभक्ति की भावना पैदा करे।
  • उन्होंने मोबाइल पुस्तकालयों और स्कूलों की व्यवस्था की। साथ ही रात के समय में औद्योगिक श्रमिकों को भी पढ़ाया। 
  • समाज सुधारक, शिक्षाविद् के साथ-साथ गोखले एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे और केंद्रीय विधान परिषद में उनके द्वारा बजट पर दिए भाषण की खासा चर्चा हुई थी। 
  • गोखले ने साल 1908 में रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स की स्थापना की।
  • गोखले ने साल 1912 में दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी से मुलाकात की और उन्हीं के अनुरोध पर महात्मा गांधी भारत आए थे।
  • महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में गोखले को अपना राजनीतिक गुरु, सलाहकार व मार्गदर्शक बताया है।