Renewable Energy: हर साल 50 हजार मेगावाट रिनीवेबल ऊर्जा जोड़ने में जुटी सरकार
मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि अगर वर्ष 2023-24 से हर साल 50 हजार मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता नहीं जोड़ी जाएगी तो वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल ऊर्जा से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकेगा।
By Shashank MishraEdited By: Shashank MishraUpdated: Sun, 09 Apr 2023 06:59 PM (IST)
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। सौर, पवन जैसे रिनीवेबल ऊर्जा सेक्टर में पिछले तीन वर्षों के दौरान बहुत ही धीमी गति से हुई प्रगति के बाद केंद्र सरकार अब ज्यादा सजग नजर आ रही है। अगले पांच वर्षों तक सौर व पवन ऊर्जा से सालाना 50 हजार मेगावाट की अतिरिक्त बिजली क्षमता के लिए निविदाएं आमंत्रित करने का फैसला किया गया है।
दिक्कतों को दूर करने को लेकर गंभीर सरकार
पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में इस सेक्टर से सिर्फ 27-28 हजार मेगावाट क्षमता जोड़ने के अनुभव को देखते हुए यह फैसला बहुत ही महत्वाकांक्षी नजर आती है लेकिन नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) मौजूदा सारी दिक्कतों को दूर करने को लेकर गंभीर नजर आ रहा है।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय के स्तर पर इस फैसले का हर तीन महीने पर समीक्षा करने का फैसला भी किया गया है। दो हफ्ते पहले बिजली और एमएनआरई मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। दैनिक जागरण ने 27 मार्च, 2023 को ही रिनीवेबल सेक्टर की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने 2021 में की थी बैठक
मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि अगर वर्ष 2023-24 से हर साल 50 हजार मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता नहीं जोड़ी जाएगी तो वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल ऊर्जा से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकेगा।
इस लक्ष्य की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने ही ग्लास्गो में दिसंबर, 2021 में काप-26 की बैठक में की थी। वर्ष 2070 तक भारत में कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से समाप्त करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी रिनीवेबल इनर्जी के क्षेत्र में यह काम करना होगा।
रिनीवेबल परियोजनाओं को मंजूरी मिलने से लेकर बिजली उत्पादन तक में 18 महीने से 24 महीने का समय लगता है। इसलिए अगले पांच वर्षो के भीतर 2.50 लाख मेगावाट की क्षमता लगाने के आर्डर देने होंगे। मंत्रालय के स्तर पर यह निगरानी होगी कि हर वित्त वर्ष के पहले दो तिमाहियों में 15-15 हजार मेगावाट के क्षमता की निविदाएं दी जाएं और बाद की दो तिमाहियों के लिए 10-10 हजार मेगावाट क्षमता के लिए निविदाएं जारी हो।