छापेमारी के बाद पीएफआइ पर प्रतिबंध लगा सकती है सरकार, सीएए विरोधी आंदोलन और दिल्ली दंगे को लेकर भी है आरोप
पीएफआइ के खिलाफ देशभर में छापेमारी के बाद इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना बढ़ गई है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले काफी समय से पीएफआइ हिंसक और आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। पीएफआइ पर विभिन्न एजेंसियों की निगाह में काफी समय से है।
By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Fri, 23 Sep 2022 04:30 AM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र: पीएफआइ के खिलाफ देशभर में छापेमारी के बाद इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना बढ़ गई है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले काफी समय से पीएफआइ हिंसक और आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। लव जिहाद की घटनाओं, जबरन मतांतरण, सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में अपनी भूमिका, मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, मनी लांड्रिंग एवं प्रतिबंधित समूहों से संपर्क को लेकर यह संगठन विभिन्न एजेंसियों की निगाह में काफी समय से है।
प्रतिबंधित संगठन से हैं पीएफआइ के संबंध
सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि पीएफआइ के कई कार्यकर्ताओं के संबंध प्रतिबंधित संगठन सिमी से हैं। एनआइए ने गुरुवार को कहा कि पीएफआइ के हिंसक कृत्यों से लोगों के मन में बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। पीएफआइ द्वारा कथित रूप से एक कालेज प्रोफेसर का हाथ काटने और अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्या जैसी घटनाओं से नागरिकों के मन में 'आतंकवाद' का बुरा प्रभाव उत्पन्न होता है।