OBC क्रीमीलेयर के दायरे को बढ़ाने का सरकार ले सकती है फैसला, आय सीमा 15 लाख तक करने की हो रही मांग
बिहार की जाति आधारित गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद देश में अचानक से पिछड़े वर्ग को लेकर गरमाई राजनीति के बीच ओबीसी (अन्य पिछुड़ा वर्ग) क्रीमीलेयर के दायरे को फिर से बढ़ाने को लेकर हलचल तेज हुई है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है उसके तहत यह मांग नए सिरे से फिर से जोर पकड़े इससे पहले ही सरकार इसके दायरे को बढ़ाने को लेकर फैसला ले सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार की जाति आधारित गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद देश में अचानक से पिछड़े वर्ग को लेकर गरमाई राजनीति के बीच ओबीसी ( अन्य पिछुड़ा वर्ग ) क्रीमीलेयर के दायरे को फिर से बढ़ाने को लेकर हलचल तेज हुई है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उसके तहत यह मांग नए सिरे से फिर से जोर पकड़े इससे पहले ही सरकार इसके दायरे को बढ़ाने को लेकर फैसला ले सकती है।
कितना बढ़ सकता है दायरा ?
हालांकि यह दायरा आठ लाख से बढ़कर कितना होगा, इसे लेकर अभी संशय है लेकिन अब तक का जो फार्मूला रहा है, उसके तहत इसे दस से बारह लाख तक बढ़ाया जा सकता है। वैसे तो ओबीसी वर्ग इसे 15 लाख तक करने की मांग कर रहा है। ओबीसी क्रीमीलेयर के दायरे को बढ़ाने को लेकर सरकार इसलिए भी दबाव में है ,क्योंकि वर्ष 1993 में इसे लागू किए जाने के बाद से इसका दायरा करीब हर तीसरे साल में बढ़ता रहा है लेकिन यह वर्ष 2017 के बाद से नहीं बढ़ा है।
वर्ष 2021 में इसे लेकर तैयार किया गया था प्रस्ताव
सितंबर 2017 में इसके दायरे को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख किया गया था। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2021 में इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन बाद में विवाद बढ़ने पर इसे वापस ले लिया गया था। सूत्रों की मानें तो यह पूरा विवाद उस समय खड़ा हुआ था, जब इस आय के दायरे में वेतन और कृषि आय को भी शामिल कर लिया गया था। मौजूदा समय में आय के इस दायरे में यह दोनों ही शामिल नहीं है।
चुनाव से पहले लिया जा सकता है कोई ठोस निर्णय
खासबात यह है कि ओबीसी क्रीमीलेयर का निर्धारण अभी व्यापार व कारोबार आदि से होने वाली आय से ही निर्धारित होता है। इस बीच मंत्रालय के स्तर पर जो संकेत मिल रहे है, उसके तहत चुनाव से पहले इसे लेकर कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है। वैसे भी तय योजना के तहत यदि अब तक इसे बढ़ाया जाता है तो 2017 के बाद से अब तक करीब दो बार इनमें बढ़ोत्तरी हो जाती है। ऐसे में इन सभी पहलुओं को देखते हुए इसके दायरे और स्वरूप पर मंथन तेज कर दिया गया है।
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गौरतलब है कि मौजूदा व्यवस्था के तहत क्रीमीलेयर के दायरे में आने वाले ओबीसी ही आरक्षण का लाभ लेने के लिए पात्र होते है। इनमें उन्हें सरकारी नौकरियों के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में लाभ मिलता है। केंद्र सरकार से जुड़ी नौकरियों और उनसे जुड़े शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में इनके लिए 27 फीसद सीटें आरक्षित होती है, जबकि राज्यों में इसके अलग-अलग दायरे है।