क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतें होंगी कम? चुनाव से पहले चल रहा मंथन; चार महीनों से मुनाफा कमा रहीं कंपनियां
पेट्रोलियम मंत्रालय का आंकलन है कि वित्त वर्ष 2023-24 के अंतिम छह महीनों में क्रूड की कीमतें ज्यादा अस्थिर रह सकती हैं। ऐसे में कीमत घटाने को लेकर फैसला राजनीतिक स्तर पर ही होगा। चुनावों के आसपास कई बार पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्य में कटौती देखी गई है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 29 Apr 2023 08:21 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव से पहले पेट्रोल और डीजल के खुदरा मूल्य में कमी हो सकती है। इसकी अंतिम घोषणा तो सरकारी तेल कंपनियां ही करेंगी, लेकिन सरकार के भीतर इस बारे में मंथन चल रहा है। मंथन के पीछे ठोस वजह भी है।
अप्रैल माह के पहले 27 दिनों के दौरान भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से औसतन 83.96 डालर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल की खरीद की है। 27 अप्रैल, 2023 को भारतीय बास्केट में क्रूड की कीमत 78.45 डालर प्रति रही है।
मुनाफा कमा रहीं सरकारी तेल कंपनियां
सरकारी तेल कंपनियां पिछले चार महीनों से पेट्रोल की बिक्री पर मुनाफा कमा रही हैं। बीते दो महीनों से उन्हें डीजल बिक्री पर भी लाभ होने लगा है। हालांकि, क्रूड बाजार में अभी भी अनिश्चितता का माहौल है।पेट्रोलियम मंत्रालय का आंकलन है कि वित्त वर्ष 2023-24 के अंतिम छह महीनों में क्रूड की कीमतें ज्यादा अस्थिर रह सकती हैं। ऐसे में कीमत घटाने को लेकर फैसला राजनीतिक स्तर पर ही होगा।
नियमों के मुताबिक, पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमत तय करने का अधिकार सरकारी तेल कंपनियों को दिया जा चुका है, लेकिन कई बार यह देखा गया है कि चुनावों के आसपास इस बारे में फैसला राजनीतिक तौर पर होता रहा है।
चुनाव से पहले कीमतों में नहीं किया था बदलाव
पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से पहले तेल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड महंगा होने के बावजूद घरेलू खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया। 07 मार्च, 2022 को चुनाव खत्म हुए और 22 मार्च से 06 अप्रैल, 2022 तक लगातार कीमतें बढ़ाई गई।
इस दौरान पेट्रोल व डीजल में 10-10 रुपये की वृद्धि हुई। उसके बाद से तेल कंपनियों ने खुदरा कीमतों मे कोई बदलाव नहीं किया, जबकि इस दौरान क्रूड एक समय (जून, 2022) में 116 डालर प्रति बैरल तक की दर से खरीदा। पिछले कई महीनों से क्रूड 90 डालर प्रति बैरल से नीचे रहा, तब भी कीमतें उसी स्तर पर हैं।