Data Protection Bill: डाटा चोरी करने वालों की खैर नहीं, अब लग सकता है 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
Digital Personal Data Protection Bill 2022 केंद्र सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल के तहत डाटा उल्लंघन के लिए 500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव किया है। सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के मसौदे के तहत जुर्माने की राशि 500 करोड़ रुपये तक बढ़ाई है।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 20 Nov 2022 01:06 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जारी डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 (Digital Personal Data Protection Bill 2022) के मसौदे के तहत प्रस्तावित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि 500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी है। 2019 में ड्राफ्ट पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में 15 करोड़ रुपये या किसी इकाई के वैश्विक कारोबार का 4 प्रतिशत जुर्माना लगाने का प्रस्ताव था। मसौदे में भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो बिल के प्रावधानों के अनुसार कार्य करेगा।
500 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा जुर्माना
मसौदे में कहा गया है, 'यदि बोर्ड जांच के निष्कर्ष पर यह निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति द्वारा गैर-अनुपालन महत्वपूर्ण है, तो वह व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, अनुसूची 1 में निर्दिष्ट ऐसा वित्तीय दंड लगा सकता है, जो प्रत्येक मामले में पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा।'
ग्रेडेड पेनल्टी सिस्टम का प्रस्ताव
मसौदे में डेटा फिड्यूशरी के लिए एक ग्रेडेड पेनल्टी सिस्टम का प्रस्ताव किया गया है जो केवल अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार डेटा मालिकों के व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करेगा। दंड का एक ही सेट डेटा प्रोसेसर पर लागू होगा - जो एक ऐसी इकाई होगी जो डेटा फिड्यूशरी की ओर से डेटा संसाधित करेगी।ये भी पढ़ें: Data Protection Bill 2022: डाटा संरक्षण विधेयक उपभोक्ताओं के डाटा दुरुपयोग पर लगाएगा लगाम: चंद्रशेखर
17 दिसंबर 2022 तक मसौदा पर कर सकते हैं टिप्पणी
मसौदे में 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है, अगर डेटा फ़िड्यूशरी या डेटा प्रोसेसर अपने कब्जे में या उसके नियंत्रण में व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों के खिलाफ सुरक्षा करने में विफल रहता है। मसौदा 17 दिसंबर 2022 तक सार्वजनिक टिप्पणी के लिए खुला है।संसद में पेश होगा विधेयक
इस मसौदा विधेयक पर व्यापक परामर्श होगा। सरकार अगले बजट सत्र तक इसे संसद में पेश करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ड्राफ्ट बिल यह भी अनिवार्य करता है कि उपयोगकर्ता को अपनी जानकारी साझा करने से सहमति देने, प्रबंधित करने, सहमति वापस लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए।