ग्लोबल हंगर इंडैक्स की ओर से जारी नई रिपोर्ट ने विवाद पैदा कर दिया है। इस रिपोर्ट में भारत को पड़ोसी देश बांग्लादेश म्यांमार पाकिस्तान नेपाल से भी पीछे रखा गया है। सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसके अध्ययन पर सवाल उठाए हैं। (फाइल फोटो)
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 15 Oct 2022 10:21 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना चला रहा है और गरीब कल्याण योजना के तहत 1150 लाख टन अनाज वितरित किया गया है। ऐसे में ग्लोबल हंगर इंडैक्स (अंतरराष्ट्रीय भूख सूचकांक) की ओर से जारी नई रिपोर्ट ने विवाद पैदा कर दिया है। आयरलैंड और जर्मनी के एनजीओ की ओर से जारी इस रिपोर्ट में भारत को पड़ोसी देश बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, नेपाल से भी पीछे रखा गया है। 121 देशों की सूची में भारत को 107वें स्थान पर रखा गया है जबकि पिछले साल स्थिति थोड़ी बेहतर बताई गई थी। हांलांकि सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसके अध्ययन पर सवाल उठाए हैं।
सरकार ने रिपोर्ट को किया खारिज
सरकार की ओर से अध्ययन के आधार को ही गलत करार देते हुए कहा गया है कि चार में तीन आधार बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और उसी आधार पर पूरी जनसंख्या का आकलन कर लिया गया है। चौथे बिंदु पर रिपोर्ट का आधार महज तीन हजार लोगों के ओपिनियन पोल से मिली जानकारी के आधार पर तैयार किया गया। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर आरोप लगाया गया कि अध्ययन में जानबूझकर सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों को नजरंदाज किया गया है।
कांग्रेस ने सरकार पर साधा था निशाना
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यूपीए काल में स्थिति बेहतर थी। प्रधानमंत्री से उन्होंने सवाल किया केंद्र सरकार इन मुद्दों पर कब ध्यान देगी। वहीं, महिला व बाल विकास मंत्रालय ने अध्ययन रिपोर्ट पर गंभीर सवाल खड़े किए। बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडैक्स हर साल जारी किया जाता है। इस इंडैक्स में भारत हमेशा पीछे दिखता है। ताजा रिपोर्ट ने माना है कि पिछले वर्ष स्टंटिग और बच्चों में मौत की संख्या में सुधार हुआ है लेकिन कुपोषण और वेस्टिंग में बढ़ोतरी हुई है।
अध्ययन के आधार को लेकर पहले भी उठ चुके सवाल
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि एनजीओ के सामने पहले भी सरकार की ओर से अध्ययन के आधार को लेकर सवाल उठाए गए थे। उन्होंने कहा था कि भारत जैसे बड़े देश में एक छोटे ओपिनियन पोल से सही परिणाम नहीं आएगा। तब आश्वासन दिया गया था कि इसे ठीक किया जाएगा, लेकिन इस अध्ययन में 3000 लोगों के बीच ओपिनियन पोल से कुपोषण को लेकर रिपोर्ट बना ली गई।
ये भी पढ़ें: Global Handwashing Day पर जानें हाथों को साफ करने का सही तरीका, कई बीमारियों से होगी सुरक्षा
ये भी पढ़ें: नई नीति में वाहनों का आकार हो सकता है टोल का आधार, छोटी कार पर कम देना पड़ सकता है टैक्स