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सरकारी स्कूलों को प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने पर मिलेगी दो लाख तक की मदद, शिक्षा मंत्रालय ने शुरू किया अभियान

सरकारी स्कूलों को प्री-प्राइमरी या बाल वाटिका कक्षाओं से जोड़ने की मुहिम अब और तेज होगी। शिक्षा मंत्रालय ने समग्र शिक्षा स्कीम के तहत इन कक्षाओं को शुरू करने वाले स्कूलों को अब दो लाख तक की वित्तीय मदद भी देने की पेशकश की है। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों को भी प्री-प्राइमरी कक्षाओं के शुरू करने पर प्रति स्कूल एक लाख रुपए तक की मदद दी जाएगी।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 15 Dec 2023 11:01 PM (IST)
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सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते छात्र। (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों को प्री-प्राइमरी या बाल वाटिका कक्षाओं से जोड़ने की मुहिम अब और तेज होगी। शिक्षा मंत्रालय ने समग्र शिक्षा स्कीम के तहत इन कक्षाओं को शुरू करने वाले स्कूलों को अब दो लाख तक की वित्तीय मदद भी देने की पेशकश की है।

आंगनबाड़ी केंद्रों को भी मिलेगी मदद

वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों को भी प्री-प्राइमरी कक्षाओं के शुरू करने पर प्रति स्कूल एक लाख रुपए तक की मदद दी जाएगी। हालांकि आंगनबाड़ी केंद्रों को यह मदद पांच वर्ष में एक बार दी जाएगी, जबकि सरकारी स्कूलों को यह मदद छात्रों की संख्या के आधार पर सालाना दी जाएगी। यह प्रति बच्चा पांच सौ रुपए तक सालाना होगा।

बाल वाटिका कक्षाएं शुरू करने का सुझाव

केंद्र सरकार ने इसके साथ ही राज्यों को भी सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी और बाल वाटिका कक्षाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने की सुझाव दिया है। वैसे भी शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है। ऐसे में स्कूली शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही वित्तीय मदद देते है।

शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लागू होने के साथ की है। जिसमें स्कूली शिक्षा के ढांचे में अब प्री-प्राइमरी को भी शामिल किया गया है। जिसमें बच्चों को अब तीन साल की उम्र से ही स्कूली शिक्षा में प्री- प्राइमरी व बालवाटिका कक्षाओं के जरिए जोड़ने का प्रस्ताव है।

सिर्फ 1.88 लाख स्कूलों में ही प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू

एनईपी की इस पहल पर वैसे तो सभी राज्यों में काम शुरू हो गया है, लेकिन यह रफ्तार अभी काफी धीमी है। देश के कुल करीब 11 लाख सरकारी स्कूलों में से अभी सिर्फ 1.88 लाख स्कूलों में ही प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू हो सकी है। ऐसे में अभी बड़ी संख्या में स्कूल इससे वंचित है।

गौरतलब है कि एनईपी में सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने के साथ ही देश भर में चल रही सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को भी बालवाटिका और प्री-प्राइमरी स्कूलों के रूप में बदलने का सुझाव दिया है। जिसके बाद इन केंद्रों को अपग्रेड किया जा रहा है। इनमें पढ़ाने वाले अमले को प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही इन्हें पास के स्कूलों से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि इन केंद्र से निकलकर बच्चे स्कूलों तक पहुंच सकें।

सबसे अधिक प्री-प्राइमरी स्कूल पश्चिम बंगाल में खुले

पश्चिम बंगाल भले ही एनईपी को लेकर राजनीतिक मंचों पर विरोध करते हुए दिखता है, लेकिन हाल ही में संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक करीब 65 हजार को प्री-प्राइमरी से जोड़ने का काम किया गया है, जबकि दूसरे नंबर पर असम रहा है, जहां करीब 25 हजार स्कूलों को अब तक प्री-प्राइमरी से लैस किया गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर, झारखंड, पंजाब, मेघालय और तमिलनाडु में भी इसे लेकर काफी काम हुआ है। इन राज्यों के भी बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी से जोड़ा गया है।