MSP को लेकर किसानों का आंदोलन प्रदर्शन, जानिए प्रत्येक किसान पर सरकार का सालाना खर्च कितना?
केवल समग्र कृषि योजनाएं एवं डीबीटी के माध्यम से दी जाने वाली सहायता राशि का अगर औसत आकलन किया जाए तो प्रत्येक किसान पर केंद्र सरकार वर्तमान में कृषि एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत प्रति वर्ष लगभग 22 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर रही है। यह राशि पशुपालनजल शक्तिऊर्जा और ग्रामीण विकास मंत्रालय की उन योजनाओं से अलग है जिसे कृषि से संबद्ध कार्यों पर खर्च किया जाता है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। किसान संगठन बार बार एमएसपी को लेकर आंदोलन प्रदर्शन करते हैं। लेकिन यह मुद्दा नजरअंदाज किया जाता है कि केंद्र सरकार कृषक परिवारों एवं खेती की दशा-दिशा सुधारने के लिए प्रतिवर्ष तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है। इसमें उर्वरकों पर सब्सिडी के अतिरिक्त कृषि मंत्रालय की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनके जरिए किसानों के खाते में सीधे पैसे भेजे जाते हैं।
केवल समग्र कृषि योजनाएं एवं डीबीटी के माध्यम से दी जाने वाली सहायता राशि का अगर औसत आकलन किया जाए तो प्रत्येक किसान पर केंद्र सरकार वर्तमान में कृषि एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत प्रति वर्ष लगभग 22 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर रही है। यह राशि पशुपालन, जल शक्ति, ऊर्जा और ग्रामीण विकास मंत्रालय की उन योजनाओं से अलग है, जिसे कृषि से संबद्ध कार्यों पर खर्च किया जाता है।
कृषि मंत्रालय का बजट 27,662.67 करोड़
वित्तीय वर्ष 2013- 14 में कृषि मंत्रालय का बजट 27,662.67 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में लगभग पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 1,25,035.79 करोड़ रुपये हो गया है। समग्रता में देखें तो वर्ष 2023-24 में कृषि एवं किसान कल्याण पर केंद्र सरकार ने 1.25 लाख करोड़ रुपये और उर्वरकों की सब्सिडी पर 1.75 लाख करोड़ रुपये खर्च किए। इसी तरह खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन एवं मत्स्यपालन आदि पर लगभग दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया था।खाद्य सुरक्षा बड़ी चुनौती
कुल राशि तीन लाख दस हजार करोड़ रुपये हुई। स्पष्ट है कि यह स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य कई सामाजिक विकास के लिए खर्च किए गए पैसे से बहुत ज्यादा है। इसमें जल शक्ति मंत्रालय के तहत ¨सचाई परियोजनाओं पर होने वाला व्यय शामिल नहीं है। पूर्व के वर्षों में केंद्र को उर्वरक सब्सिडी के रूप में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे। वर्ष 2022-23 में उर्वरक पर सब्सिडी 2.55 लाख करोड़ रुपये थी।
जमीन यथावत है और आबादी बढ़ रही है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा बड़ी चुनौती है। कृषि लागत कम करके खेती को लाभकारी बनाने एवं किसान कल्याण के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। समय पर खेती के लिए किसानों को पूंजीगत राहत देने के उद्देश्य से केंद्र द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 11 करोड़ किसानों के खाते में अभी तक 2.81 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं। योजना के तहत केंद्र सरकार पर प्रतिवर्ष करीब 66 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
खेती की क्षति को कम करने के लिए 2016 में शुरू प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 15 हजार 500 करोड़ का आवंटन किया गया है। इससे 1174.7 लाख किसानों की फसल क्षति की भरपाई करना है। किसानों को यह समझाने की कोशिश हो रही है कि पीएम किसान मानधन योजना के जरिए 2019 से केंद्र ने कमजोर किसान परिवारों के लिए पेंशन की व्यवस्था की है। किसानों के मासिक अंशदान के बराबर केंद्र की ओर से राशि जमा की जाती है। अबतक 23.38 लाख ने इस योजना को अपनाया है।
किसानों के भविष्य की सुरक्षा वाली इस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपये केंद्र की ओर से जमा किए जा चुके हैं।किसान सभी उपज को एमएसपी पर खरीदने की मांग कर रहे हैं जिसे मान लिया गया तो यह तय है कि बाकी सारी योजनाएं बंद करनी पड़ेंगी। पिछले दस वर्षों में किसानों ने कृषि कर्ज के रूप में प्रति वर्ष 1.40 लाख करोड़ के औसत से कुल 14 लाख करोड़ रुपये लिए हैं। वर्ष 2013-14 में यह राशि 7.3 लाख करोड़ थी, जो अब करीब 20 लाख करोड़ के पार कर चुकी है।