अब करनी ही पड़ेगी बुजुर्ग माता-पिता की सेवा, सरकार बनाएगी कानून
मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा समय में उनके पास ऐसे ढेरों मामले आ रहे है, जिनमें बच्चों ने माता-पिता के नाम की संपत्ति को बेच कर उन्हे घर से बेदखल कर दिया है।
नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। बूढ़े मां-बाप की सेवा को सरकार अब कानूनन अनिवार्य बनाएगी। कोई भी इससे बच नहीं सकेगा। इसे लेकर जल्द ही वह कानून में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है, जिसमें बुजुर्ग मां-बाप को पूरा संरक्षण दिया जाएगा। इसके तहत यदि किसी के बच्चे उनकी सेवा नहीं करते है, तो वह उनसे गुजारा भत्ता ले सकेंगे।
हालांकि अभी भी इसके लिए कानून है, लेकिन उन्हें इसके लिए पुलिस और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते थे। नए नियमों के तहत ऐसा नहीं होगा। वह नोडल अधिकारी के पास एक शिकायत दर्ज कराकर गुजारा-भत्ता पाने के हकदार हो सकेंगे। नोडल अधिकारी का प्रावधान पुराने कानून में भी है लेकिन अब तक उनके पास सिर्फ शिकायत होती थी। बदलाव के बाद संभवत: वही इसका निवारण करने में भी सक्षम होंगे और बुजुर्ग कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचेंगे।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इसे लेकर तेजी से काम कर रहा है। हाल ही में सभी राज्यों और मंत्रालयों से इसे लेकर राय भी मांगी है। बुजुर्ग माता-पिता के भरण पोषण को लेकर अभी भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का एक कानून है। लेकिन अब बदलाव लाकर इसे सरल बनाया जा रहा है।
सरकार के स्तर पर कोशिश है कि वह इसकी गारंटी खुद ले। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा वृद्धा आश्रम खोले जाए। जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ उनके खाने-पाने और रहने की बेहतर व्यवस्था हो। लेकिन इससे पहले वह इन बुजुर्ग माता-पिता के बच्चों को भी जवाबदेह बनाना चाहती है। सेवा न करने वाले बच्चों से इसके भरण-पोषण के लिए एक राशि वसूली जा सकती है। जो उन्हें देनी ही होगी। इस पैसे से वह अपना भरण-पोषण ठीक तरीके से कर सकेंगे।
मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा समय में उनके पास ऐसे ढेरों मामले आ रहे है, जिनमें बच्चों ने माता-पिता के नाम की संपत्ति को बेच कर उन्हे घर से बेदखल कर दिया है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो यह समस्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढी है। वैसे भी मौजूदा समय में देश की कुल आबादी का करीब 11 फीसद आबादी बुर्जुगों की है। जो 2026 तक बढ़कर करीब 13 फीसद हो जाएगी।