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West Bengal News: ममता सरकार के सामने नया संकट, राज्यपाल के इस फैसले ने बढ़ाई और मुश्किल

Clash between Bengal Government and Raj Bhavan over RG Kar Incident आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या की घटना पर बंगाल सरकार और राजभवन के बीच टकराव गहराया है। राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संविधान के अनुच्छेद 167(सी) का पालन करने का अनुरोध किया। राजभवन ने राज्य सरकार की कार्यशैली और कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर सवाल उठाए हैं।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Wed, 11 Sep 2024 07:42 PM (IST)
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West Bengal CM Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। आरजी कर घटना को लेकर बंगाल में ममता सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संविधान के अनुच्छेद 167 (सी) का अनुपालन करने का अनुरोध किया है।

यह अनुच्छेद राज्यपाल को राज्य के प्रशासन और विधायी प्रस्तावों के संबंध में मंत्रिमंडल (कैबिनेट) के सभी निर्णयों के बारे में सूचित करने के लिए मुख्यमंत्री के कर्तव्यों को परिभाषित करता है।

राजभवन ने ममता सरकार से क्‍या कहा?

राजभवन की ओर से कहा गया, ''अनुच्छेद 167 (सी) के प्रावधानों के तहत मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य है कि वे राज्य के मामलों प्रशासन और विधायिका के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) के सभी फैसलों की जानकारी राज्यपाल को दें।

राजभवन ने यह भी याद दिलाया है कि सीएम का यह कर्तव्य है कि राज्य कैबिनेट द्वारा विचार किए गए विषयों की जानकारी भी राज्यपाल को दें।''

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कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म एवं हत्या की घटना के मद्देनजर राज्यपाल का यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजभवन ने यह भी दावा किया कि राज्य प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मानक से भटकने की एक के बाद एक घटनाओं के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।

राज्‍य सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

राजभवन के बयान के अनुसार, पीड़िता के माता-पिता को गलत जानकारी देना, अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़, घटना की प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और माता-पिता की इच्छा के बावजूद उसी दिन शव का जल्दी निपटारा कर देना।

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इसके अलावा,उस समय के प्रिंसिपल (डॉ संदीप घोष) को स्थानांतरित करना व तुरंत एक अन्य प्रमुख मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उन्हें नियुक्त करना और कोलकाता पुलिस द्वारा अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ को कवर करने के प्रयास जैसे कुछ उदाहरण हैं, जिन्होंने इस मामले में राज्य की मंशा को लेकर लोगों के मन में संदेह पैदा किया। न्यायालयों (हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट) ने भी इसकी आलोचना की।

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