गोविंद गुरु कौन हैं? पीएम मोदी ने मानगढ़ धाम में किया जिक्र, जानें राजस्थान से क्या है नाता
Govind Guru Mangarh Dham पीएम मोदी ने मंगलवार को राजस्थान में स्थित मानगढ़ धाम में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने आदिवासियों के नायक गोविंद गुरु को याद किया। आइए जानते हैं गोविंद गुरु के बारे में...
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम में स्वतंत्रता सेनानी गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब भारत में विदेशी हुकूमत के खिलाफ आवाजें बुलंद हो रही थीं, तब गोविंद गुरु भील आदिवासियों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे थे और उनके अंदर देशभक्ति की ऊर्जा भर रहे थे। मानगढ़ धाम गोविंद गुरु और मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सैकड़ों आदिवासियों के बलिदान का प्रतीक है।
कौन थे गोविंद गुरु? (Who is Govind Guru)
गोविंद गिरि को गोविंद गुरु के नाम से भी जाना जाता है। उनका ज्म 20 दिसंबर 1858 को डूंगरपुर जिले के बांसिया बेड़िया गांव में गौर जाति में एक बंजारा परिवार में हुआ था। बचपन से ही आध्यात्म में उनकी रूचि थी। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती से उन्हें प्रेरणा मिली, जिसके बाद उन्होंने अपने जीवन को देश, धर्म और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने किसी स्कूल में पढ़ाई नहीं की। जब देश गुलाम था, तब उन्होंने भीलों के बीच शिक्षा और आजादी की अलख जगाई।
जब भारत में विदेशी हुकूमत के खिलाफ आवाज़ें बुलंद हो रही थीं तब श्री गोविन्द गुरु भील आदिवासियों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे थे और उनके अंदर देशभक्ति की ऊर्जा भर रहे थे
मानगढ़ धाम गोविन्द गुरु और मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सैकड़ों आदिवासियों के बलिदान का प्रतीक है pic.twitter.com/9xUJ8CPBxg
गोविंद गुरु एक सामाजिक और धार्मिक सुधारक थे। उन्होंने राजस्थान और गुजरात के आदिवासी बहुत सीमावर्ती क्षेत्रों में 1890 के दशक में भगत आंदोलन चलाया। इस आंदोलन में अग्नि देवता को प्रतीक माना गया था। उन्होंने 1893 में सम्प सभा की स्थापना की। इसके द्वारा उन्होंने शराब , मांस, चोरी और व्यभिचार से दूर रहने का प्रचार किया। गोविंद गुरु ने लोगों से सादा जीवन जीने, हर दिन नहाने, यज्ञ और कीर्तन करने, बच्चों को पढ़ाने, अन्याय न सहने, जागीरदारों को लगान न देने और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाने का आह्वान किया।
जब मानगढ़ की पहाड़ी पर हजारों लोग मारे गए
बात 17 नवंबर 1913 की है। मानगढ़ की पहाड़ी पर वार्षिक मेला लगने वाला था। इससे पहले गोविंद गुरु ने ब्रिटिश सरकार से अकाल पीड़ित आदिवासियों से खेती पर लिया जा रहा कर घटाने का आग्रह किया, लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं मानी और पहाड़ी को घेरकर मशीनगन और तोपों से हमला कर दिया। इससे हजारों लोगों की मौत हो गई।
गोविंद गुरु को फांसी की सजा
ब्रिटिश हुकूमत ने गोविंद गुरु को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। गोविंद गुरु 1923 तक जेल में रहे। जेल से छूटने के बाद उन्होंने भील सेवा सदन के माध्यम से जनसेवा करते रहे। 30 अक्टूबर 1931 को गुजरात के कम्बोई गांव में उनका निधन हो गया। हर साल लोग वहां बने उनकी समाधि पर आते हैं और श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
लाखों-लाखों आदिवासियों के नायक गोविंद गुरु जी pic.twitter.com/PQgPLQn6uM
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) November 1, 2022
आदिवासियों के नायक
पीएम मोदी ने कहा कि मानगढ़ धाम राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की साझी विरासत है। गोविंद गुरु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी भारत की परंपराओं और आदर्शों के प्रतिनिधि थे। वह किसी रियासत के राजा नहीं थे, लेकिन वह लाखों आदिवासियों के नायक थे। अपने जीवन में उन्होंने अपना परिवार खो दिया, लेकिन हौसला कभी नहीं खोया।
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