Grain Storage: खाद्य सुरक्षा के लिए दाने-दाने का होगा भंडारण प्रबंध, देशभर में होगा 15 सौ गोदामों का निर्माण
देश की बड़ी आबादी की खाद्य सुरक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ी अन्न भंडारण क्षमता प्राप्त करने पर काम शुरू कर दिया गया है। योजना का मकसद अन्न भंडारण की जरूरतों को पूरा करना है। अभी देश में कुल उत्पादन के 47 प्रतिशत अनाजों के भंडारण की ही क्षमता है। प्रबंध में कमी के चलते प्रतिवर्ष लगभग 14 से 16 प्रतिशत तक अन्न बर्बाद हो जाता है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। देश की बड़ी आबादी की खाद्य सुरक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ी अन्न भंडारण क्षमता प्राप्त करने पर काम शुरू कर दिया गया है। योजना का मकसद अन्न भंडारण की जरूरतों को पूरा करना है। अभी देश में कुल उत्पादन के 47 प्रतिशत अनाजों के भंडारण की ही क्षमता है।
प्रबंध में कमी के चलते प्रतिवर्ष लगभग 14 से 16 प्रतिशत तक अन्न बर्बाद हो जाता है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की पहल पर कैबिनेट ने इसी वर्ष मई महीने में सहकारी क्षेत्र में अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी थी। इसके लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति भी बनाई गई थी। अन्न भंडारण क्षमता में वृद्धि के लिए तीन पक्षों को शामिल किया गया है।
भंडारण क्षमता 1450 से बढ़ाकर 2,150 लाख टन करने की योजना
सहकारिता मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) एवं पैक्सों के साथ मिलकर देश की मौजूदा अन्न भंडारण क्षमता को 1450 लाख टन से बढ़ाकर 2,150 लाख टन करने का प्रयास शुरू किया है। राज्यों को गारंटी और पैक्सों को जमीन उपलब्ध कराना है, जबकि निर्माण का काम एनबीसीसी करेगा।पहले चरण में 15 सौ गोदामों का होगा निर्माण
पहले चरण में देश भर में 15 सौ गोदामों के निर्माण का जिम्मा एनबीसीसी को सौंपा गया है। 50 के लिए करार भी हो चुका है। राज्यों की सहमति मिल चुकी है। निविदा की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। अगले 50 के लिए फरवरी में करार होना है।
भारत अनाज भंडारण क्षमता में बहुत पीछे
भारत अनाज उत्पादन में आगे है, लेकिन भंडारण क्षमता में बहुत पीछे। चीन, अमेरिका, ब्राजील एवं रूस जैसे देशों के पास उत्पादन से अधिक भंडारण क्षमता है। कृषि क्षेत्र में सुधारों के कारण देश में प्रत्येक वर्ष उत्पादन में वृद्धि हो रही है, किंतु उस अनुपात में गोदाम नहीं हैं। अभी देश में अन्न भंडारण की क्षमता मात्र 1,450 लाख टन की है। अगले पांच वर्षों में इसमें सात सौ लाख टन की वृद्धि कर 2,150 लाख टन करना है।